मिथलांचल में बाढ़ की तबाही

पिछले कुछ दिनों से हुए मोसला-धार वर्षा और नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी के कारण बिहार समेत पूरा मिथलांचल बाढ़ की तबाही से जूझ रहा है, ऐसे में जितने भी सियासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं उनकी ज़िम्मेवारी बढ़ जाती है कि वह बाढ़ पीड़ितों की – इस कठिन स्थिति में – सहायता करे। परंतु कुछ कठोर दिल नेता इस स्थिति में भी सियासी रोटी सेंकने से बाज़ नहीं आ रहे हैं और *जल स्थल* पे जाकर पीड़ितों के ज़ख्म पर मरहम – पट्टी करने बजाय फोटो खिंचवाकर और ऐसे ही खाली हाथ वापस हो कर पीड़ितों के ज़ख्म पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं

, यदि इनमें कुछ ऐसे भी नर्म – दिल नेता और समाजी कार्यकर्ता हैं जो अपने मान- सम्मान सबको भूला कर पीड़ितों के मासीेहा बन रहे हैं और घर घर जाकर उनका दुख – दर्द बाँट रहे हैं। ऐसी ही एक अद्भुत मिसाल सीतामढ़ी के अति – पिछड़े परखंड परिहार के परसा गाँव में नज़र आई। वहां के एक विपक्षी नेता (ग्रामीण क्षेत्र के यानी मुख्या पद के ) श्री आशिक जी ने मानवता की बेहतरीन मिसाल क़ायम करते हुए लगातार एक सप्ताह तक पीड़ितों और नदी में गांव के बचाव के लिए बांधे जा रहे बाँध में खटने वाले मज़दूरों के लिए अपनी तरफ़ से भोजन का इंतज़ाम किया और मज़े की बात ये है कि अपने हाथों से लोगों को भोजन कराया ,यही नहीं बल्कि इस गाँव के पूरे हिंदू – मुस्लिम समुदाय के लोग एकता की एक शक्तिशाली मिसाल बन कर बाढ़ से बचने का उपाय भी कर रहे हैं। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।

अंत में बिहार सरकार से निवेदन है कि इस पूरे छेत्र का(मिथलांचल का ) दोबारा निरक्षण करे और भारी संख्या में हुई तबाही को ध्यान में रखते हुए पीड़ितों को मिलने वाली राशि—- (50,000(जिनका घर तबाह हुआ है) और 6,000(थोड़ी बहुत तबाही की जद में आने वाले) —-में बढोतरी करे , और केंद्रीय सरकार से भी अनुरोध है कि केंद्रीय मंत्रालय का एक डेलिगेशन भेज कर जल्द से जल्द सड़क – वाहन ठीक कर, travel बहाल कराए, और सीता मैया के जन्म स्थल सीतामढ़ी के लिए खुसूसी पैकेज का ऐलान भी करे, ताकि पीड़ितों का दर्द कुछ हल्का हो।

ह.श.फाइज़
hsfaaiz9@gmail.com

SHARE
is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity