मिल्लत टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली, 22 अगस्त 2025:
गजा के साथ समन्वय व्यक्त करने तथा क्षेत्र में इजरायल के क्रूर आक्रमण की निंदा करने के लिए आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक विशाल विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शन में शामिल विभिन्न विचारधारों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने बढ़ती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की तथा चेतावनी दी कि गजा पर इजरायल का सैन्य या राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करने का कोई भी प्रयास अधीनस्थ क्षेत्र में पहले से ही व्याप्त मानवीय तबाही को और गहरा कर देगा।
दिल्ली और आसपास के राज्यों से सैकड़ों लोग धर्म, विचारधारा और सामाजिक पृष्ठभूमि की सीमाओं से ऊपर उठकर इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्रों, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक नेताओं और विशिष्ट नागरिक समाज कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस समन्वय सभा में लगभग सभी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के लोगों की भागीदारी ने एक शक्तिशाली संदेश दिया कि फिलिस्तीन के साथ एकजुटता केवल मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के सभी शांति और न्यायप्रिय लोगों की साझा चिंता का विषय है।
विरोध प्रदर्शन में वक्ताओं ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के क्रूर आक्रमण की कड़ी निंदा की और इसे नरसंहार से सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2023 से अब तक महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 100,000 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जबकि घरों, अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी शिविरों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया है। प्रदर्शनकारियों ने व्यापक भुखमरी और गाजा की स्वास्थ्य सेवा एवं सफाई व्यवस्था के लगभग पूर्णतः ध्वस्त हो जाने की चिंताजनक रिपोर्टों पर भी प्रकाश डाला तथा चेतावनी दी कि यदि नाकाबंदी नहीं हटी तो अकाल का रूप धारण कर सकता है।
प्रदर्शनकारियों ने फ़िलिस्तीन पर पहले जारी एक संयुक्त बयान में की गई माँगों की पुनरावृति की गयी, जिसका भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठनों और नागरिक समाज समूहों ने समर्थन किया था। माँगें इस प्रकार हैं:
(1) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और विश्व शक्तियों को निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए और तत्काल युद्धविराम सुनिश्चित करना चाहिए।
(2) गाजा में भोजन, पानी, ईंधन और चिकित्सा आपूर्ति पहुंचाने के लिए तत्काल मानवीय गलियारे खोले जाने चाहिए।
(3) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और भारत सरकार को इजरायल की कार्रवाई की निंदा करनी चाहिए और उसके साथ सभी सैन्य और रणनीतिक सहयोग बंद कर देना चाहिए।
(4) विश्व शक्तियों और भारत सरकार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के गिरफ्तारी वारंट का समर्थन करना चाहिए और फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के अवैध कब्जे को समाप्त करने और फिलिस्तीन के स्वतंत्र संप्रभु राज्य की स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के आह्वान का समर्थन करना चाहिए।
(5) भारत को उत्पीड़ितों का समर्थन करने की अपनी दीर्घकालिक परंपरा पर कायम रहना चाहिए तथा अवैध कब्जे को समाप्त करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए।
(6) देश भर में नागरिक समाज और संस्थाओं को जागरूकता अभियान, इज़रायली उत्पादों का बहिष्कार और शांतिपूर्ण समन्वय गतिविधियों को तेज करना चाहिए।
इस विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम देशों से भी पुरज़ोर अपील की गई कि वे रक्तपात को रोकने के लिए इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका पर अधिकतम दबाव बनाएं। प्रतिभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि नरसंहार के सामने चुप्पी अस्वीकार्य है तथा उन्होंने सरकारों, संस्थाओं और व्यक्तियों से अपनी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारियों के अनुरूप कार्य करने का आग्रह किया।
विरोध प्रदर्शन को संबोधित करने वाले कुछ विशिष्ट वक्तागण:
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, अध्यक्ष जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, महासचिव जमीयत उलमा-ए-हिंद, प्रो. अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. वीके त्रिपाठी, मोहम्मद अदीब, पूर्व सांसद राज्यसभा, लारा जयसिंह, वरिष्ठ वकील, बॉम्बे हाई कोर्ट, निशा सिद्धू, महासचिव नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन (एनएफआईडब्ल्यू), जियाउद्दीन सिद्दीकी, अध्यक्ष, वहदत ए इस्लामी, रईसुद्दीन, राष्ट्रीय अध्यक्ष वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया (डब्ल्यूपीआई) , मुफ्ती अब्दुर्रज़्ज़ाक़ जमीयत उलमा-ए-हिंद, दिल्ली, अब्दुल हफ़ीज़, अध्यक्ष स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इंडिया (एसआईओ), शेख निज़ामुद्दीन, असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी मिल्ली काउंसिल, मलिक मोतसिम खान, उपाध्यक्ष जमाअत-ए-इस्लामी हिंद।