मरकज़ साउतुल हिजाज़ के अंतर्गत दो दिवसीय शैक्षिक और वैचारिक सेमिनार सफलतापूर्वक सम्पन्न

मेवात के उलेमा की शैक्षिक, धार्मिक और ऐतिहासिक सेवाओं को याद कर नई पीढ़ी तक पहुँचाने का लिया गया संकल्प

मरकज़ साउतुल हिजाज़

मिल्लत टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क

मेवात, राजस्थान, 26 अगस्त 2025

24–25 अगस्त 2025 को अल-हिजाज़ नेशनल अकैडमी, फ़िरोज़पुर झिरका में दो दिवसीय शैक्षिक, वैचारिक और सांस्कृतिक सेमिनार “आब-ए-रूद-ए-हयात ब-तज़्किरा उलेमा-ए-अहले हदीस मेवात” शानदार सफलता के साथ सम्पन्न हुआ।

इस सेमिनार में देश के जाने-माने विद्वानों, शोधकर्ताओं और लेखकों ने भाग लिया और मेवात की धार्मिक, शैक्षिक और ऐतिहासिक सेवाओं को श्रद्धांजलि दी। प्रस्तुत लेखों में मेवात के महान विद्वानों और उनकी सेवाओं को उजागर किया गया। विशेषकर शाह वलीउल्लाह की विचारधारा, स्वतंत्रता संग्राम की जद्दोजहद में मेवाती उलेमा की कुर्बानियों और ग़लत विचारधाराओं के खिलाफ उनकी बौद्धिक लड़ाई को सामने लाया गया।

सेमिनार में विद्वानों ने कहा कि इस तरह के आयोजन की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि यह नई पीढ़ी को अपनी असली, धार्मिक और शैक्षिक जड़ों से जोड़ेगा। आज जब इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है और नई पीढ़ी अपने शैक्षिक विरसे से अनजान है, ऐसे सेमिनार समय की सख़्त ज़रूरत हैं ताकि युवा अपने पूर्वजों की कुर्बानियों और ज्ञान की विरासत से परिचित हों।

डॉ. सईद हयात अल-मुश्रिफ़ी (संस्थापक, मरकज़ साउतुल हिजाज़, प्रोफ़ेसर जमीरा यूनिवर्सिटी) ने कहा:
“मेवात का शैक्षिक इतिहास केवल एक क्षेत्र का इतिहास नहीं, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप की धार्मिक और सुधारवादी आंदोलनों का उज्ज्वल अध्याय है।”

मोहम्मद मुबारक मदनी (वेल्फ़ेयर ऑफ़िसर, हरियाणा वक़्फ़ बोर्ड) ने कहा:
“यह सेमिनार आने वाली पीढ़ी को आत्मविश्वास और बौद्धिक जागरूकता देगा तथा मेवाती युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित होगा।”

मौलाना हकीमुद्दीन सनाबली (कन्वीनर, सेमिनार व जनरल सेक्रेटरी, मरकज़ साउतुल हिजाज़) ने कहा:
“हमारा उद्देश्य अपने पूर्वजों की कुर्बानियों को याद रखना और उनके मिशन को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।”

डॉ. ईसा अनीस (अमीर, जमीयत अहले हदीस हरियाणा) ने कहा:
“यह सेमिनार मेवात के शैक्षिक इतिहास को जीवित रखने की गंभीर कोशिश है, जिससे नई पीढ़ी को अपनी पहचान मिलेगी।”

मौलाना अब्दुर्रहमान सलफ़ी गोहाना (नाज़िम, जमीयत अहले हदीस हरियाणा) ने कहा:
“पूर्वजों का ज़िक्र दिलों को सुकून और नई ऊर्जा देता है। यह आयोजन केवल अतीत की याद नहीं, बल्कि भविष्य की तैयारी भी है।”

मौलाना अयूब उमरी देहली जालालपुरी ने कहा:
“आज ज़रूरत है कि हम अपनी शैक्षिक विरासत को किताबों और शोध कार्यों के रूप में सुरक्षित करें।”

सेमिनार में पारित प्रमुख निर्णय:

मेवात के विद्वानों की सेवाओं को किताबों के रूप में संकलित और प्रकाशित किया जाए।

नई पीढ़ी को कुरआन और सुन्नत की रोशनी से परिचित कराने के लिए अध्ययन सत्र आयोजित किए जाएँ।

धार्मिक और शैक्षिक विरासत को स्कूलों और मदरसों के पाठ्यक्रम से जोड़ा जाए।

इसके अलावा, जमीयत अहले हदीस हरियाणा और दिल्ली के प्रमुख नेताओं ने भी भाग लिया, जिनमें मौलाना अब्दुल मन्नान सलफ़ी (दिल्ली), मौलाना फ़ारूक़ शाकिर, मौलाना मोहम्मद सिद्दीक़ सलफ़ी और मौलाना फ़ारूक़ नदवी शामिल थे। उनकी बातचीत ने सेमिनार को नई ऊर्जा और उत्साह दिया।

मेवात के झांडा नीमका, जालालपुर, ओड़की गोहाना तथा हरियाणा और राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से भी विद्वान और शोधकर्ता इस आयोजन में शामिल हुए। आयोजकों ने सभी विद्वानों की सहमति से कई प्रस्ताव पारित किए, जिनमें विशेष रूप से मेवात के विद्वानों की सेवाओं को पुस्तकों में संरक्षित करना और नई पीढ़ी को कुरआन-सुन्नत की राह से जोड़ना प्रमुख रहा।

अंत में प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि अपने पूर्वजों की धार्मिक और शैक्षिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन के साथ सेमिनार का समापन हुआ। यह आयोजन मेवात के इतिहास में एक नया मील का पत्थर बनकर याद रखा जाएगा।

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