इंसाफ मंच ने अमित शाह द्वारा पश्चिम बंगाल में 1अक्टुबर को NRC के सम्बंध में दिए गए बयान को विभाजनकारी करार दिया।

प्रेस विज्ञप्ति,दरभंगा 3 अक्टूबर 2019
सरकार द्वारा एनआरसी से पहले संसद में विधेयक लाने जिसके तहत एनआरसी में नाम न आने के बावजूद किसी हिंदू, ईसाई या बौद्ध को नागरिकता दी जाएगी ऐसा कहना मुस्लिम विरोधी जेहनियत का नतीजा है।

इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्षा नेयाज अहमद ने कहा कि पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों को धार्मिक शोषण से बचाने के नाम पर देश के अल्पसंख्यक मुसलमानों को प्रताड़ित करने और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का यह संघी षणयंत्र है।

यह खुला रहस्य है जिसे संघ और भाजपा नेताओं के प्रतिदिन आने वाले मुस्लिम विरोधी बयानों में भी देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी में वंचित रह जाने वालों में संघ–भाजपा की आशाओं के विपरीत हिंदुओं की संख्या अधिक होने के कारण उसकी साम्प्रदायिक राजनीति को झटका लगा।

बांग्लादेशी नागरिकों की असम में घुसपैठ के मुद्दे को लेकर लम्बे हिंसक आंदोलन के बाद एनआरसी करने का निर्णय लिया गया था।

लेकिन असमिया समूहों के विरोध के बावजूद सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक लाने पर जिद बांधे हुए है।

दरअसल नागरिकता संशोधन विधेयक कुछ और नहीं बल्कि उसी साम्प्रदायिक और संकीर्ण राजीनीति को खाद पानी देने की कवायद है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity