मुसलमान सबको चाहिए लेकिन “विक्टिम” की शक्ल में चाहिए। मुसलमान नेता किसी को नहीं चाहिए, चाहे वो कन्हैया कुमार ही क्यूँ न हों।

आप सबको JNU का वो नारेबाज़ी वाला मामला तो याद ही होगा जिसमें JNU के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, छात्र नेता उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपी बनाया गया था और इन तीनों को इस मामले में जेल भी जाना पड़ा था। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में सात कश्मीरी छात्रों को भी मुख्य आरोपी बनाया गया था और इन सब के अलावा 36 अन्य को कॉलम नंबर 12 में आरोपी बनाया गया था जो कि कथित तौर पर घटनास्थल पर मौजूद थे।

इस विवाद से किसी को फ़ायदा हुआ हो या न हुआ हो लेकिन JNU के उसी विवाद से कन्हैया कुमार एक नेता बन कर उभरे और आज बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। बेगूसराय सीट पर CPI के उम्मीदवार कन्हैया कुमार, भाजपा के गिरिराज सिंह और महागठबंधन के प्रत्याशी डॉ तनवीर हसन चुनाव लड़ रहे हैं। कल यानी 9 अप्रैल को कन्हैया कुमार बेगूसराय से नामांकन करेंगे और CPI उनके नामांकन को अभूतपूर्व बनाना चाहती है। इसी सिलसिले में CPI अंचल परिषद की विस्तारित बैठक सोमवार को जिला कार्यालय कार्यानंद भवन में श्यामसुंदर झा की अध्यक्षता में की गई। मौके पर अंचल मंत्री अनिल कुमार अंजान ने कहा कि “9 अप्रैल को वाम मोर्चा के उम्मीदवार डा. कन्हैया कुमार के नामांकन को अभूतपूर्व बनाया जाएगा। एक-एक बूथ से संगठित जत्था आएगा, जिसमें सभी जाति और सांप्रदाय के लोग शामिल होंगे।”

हालाँकि ज़मीनी हक़ीक़त इस से परे है। ये सही है की कन्हैया के नामांकन को अभूतपूर्व बनाने ले लिए उन्होंने देश भर में लोगों को न्योता दिया है लेकिन बड़े अफ़सोस की बात है की कन्हैया कुमार के उस निमंत्रण सूची से छात्र नेता उमर खालिद का नाम ग़ायब है। कल तक छात्र नेता का नाम कन्हैया कुमार की निमंत्रण सूची में था लेकिन रात उस सूची से उमर ख़ालिद का नाम निकाल दिया गया है। CPI को डर है की कन्हैया कुमार के नामांकन में उमर ख़ालिद के आने से कन्हैया कुमार का भूमिहार वोट कट जाएगा। इसलिए भूमिहार वोट कटने के डर से उमर ख़ालिद को इस अवसर पर नहीं बुलाया गया है।

आज कन्हैया कुमार ने भी साबित कर दिया की मुसलमान सबको चाहिए लेकिन विक्टिम की शक्ल में चाहिए। मुसलमान नेता किसी को नहीं चाहिए, चाहे वो कन्हैया कुमार ही क्यूँ न हों। इस का अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकते हैं की इस अवसर पर JNU के गुमशुदा छात्र नजीब की माँ फ़ातिमा नफ़ीस को तो वहाँ बुलाया गया है लेकिन कन्हैया के कभी बहुत ही क़रीबी साथी उमर ख़ालिद को नहीं बुलाया है। अब आप ख़ुद अंदाज़ा लगा लीजिए कि जिस कन्हैया को आज एक उर्दू नाम वाले उमर ख़ालिद के अपने नामांकन समारोह में सम्मिलित होने से दिक्कत महसूस हो रही है, कल उनका मसलमानों के साथ रवैया कैसा होगा।

लाल सलाम। ?

मोहम्मद ख़ालिद हुसैन

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