उत्तरप्रदेश, मायावती और महिला: महिला सशक्तिकरण में फिसड्डी

Anamika Singh

उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी से लेकर मायावती जैसी सशक्त महिला मुख्यमंत्री दिए यूपी की जनता ने.

लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव यूपी से मात्र 14 महिला सांसद चुनी गई हैं.
फिलहाल यूपी में 80 लोकसभा सीट है,

मायावती को तरह तरह के उपाधियों से नवाजा गया.
फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया की 59 वीं सबसे शक्तिशाली महिला लीडर बताया.
न्यूज़वीक ने उन्हें दुनिया की 15 शक्तिशाली महिला लीडर में से एक तथा ‘बराक ओबामा ऑफ इंडिया’ भी कहा.
हालांकि अपने शासनकाल में महिला सुरक्षा देने में भी मायावती सफल हुई.
पर महिला सशक्तिकरण में फिसड्डी साबित हुई हैं.

आंकड़ो पर आते हैं.?

2007 में मायावती(बसपा) आखिरी बार मुख्यमंत्री बनती हैं और इसबार मात्र 3 महिला विधायक चुनी जाती हैं.

2012 में अखिलेश(सपा) की सरकार बनती है मात्र 35 महिला विधायक चुनी जाती हैं
सपा 34 महिला प्रतिनिधि खड़ा करती है जिसमें 22 जीतकर विधायक बनती हैं
बसपा 33 कंडीडेट खड़ा करती है.

2017 में सपा+कांग्रेस 33 महिला उम्मीदवार उतारते हैं
वही बसपा मात्र 20 महिला उम्मीदवारो को टिकट प्रदान करती है.
जबकि भाजपा 43 महिला को उम्मीदवारी देती है और 32 जीतकर आते हैं.

भाजपा की तरफ से आनेवाली महिला उम्मीदवार किसी काम की नहीं हैं वो बस महिला के नाम पर मुखौटा है.

अब आते हैं बसपा यानी मायावती जिसकी लीडर हैं फ़िलहाल.
बसपा को कांशीराम ने बनाया. उन्होंने मायावती को कमान दी.
मायावती 4 बार यूपी की मुख्यमंत्री चुनी जाती हैं.
बसपा अम्बेडक्राइट पार्टी है अर्थात डॉ आंबेडकर के विचारों पर चलती है.
अम्बेडकर का मानना था अगर समाज में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दृढ़ हो तो समाज सभ्य हो जाएगा.

लेकिन उन्हीं के विचारों को मानने वाली पार्टी ने सबसे कम महिला उम्मीदवार खड़े किए हैं.
उत्तरप्रदेश में फिलहाल 403 विधानसभा की सीटे हैं.
और महिला वोटर यहां 45% के आस पास है.

अगर मायावती ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को टिकट प्रदान करती तो आज बसपा यूपी की ही नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी पार्टी होती.
तथा समाज काफी हद तक बदल गया होता.
मायावती के पास मौका था 403 विधानसभा उम्मीदवारों में 300 उम्मीदवार महिला उतार सकती थी.
80 लोकसभा उम्मीदवार में से 50 लोकसभा उम्मीदवार महिलाओं के खेमे में डाल देती.

300 में से 50 उम्मीदवार सवर्ण पृष्ठभूमि से आनेवाली महिला.
50 मुस्लिम समाज से तथा 100 पिछड़ा और 100 दलित समाज से.

कुछ इसी तरह से लोकसभा उम्मीदवारी में महिलाओं की भागीदारी तय कर देतीं.

2014 के लोकसभा चुनाव में महिला भागीदारी यूपी की देखते हैं?
बसपा- 7(जीत-0)
कांग्रेस-12(जीत-1)
सपा-11(जीत-1)
भाजपा-11(जीत-10)
अपना दल की अनुप्रिया पटेल भाजपा गठन्धन की तरफ से कैबिनेट मंत्री थीं.

अगर ऐसा करती तो टकले सन्तरे के लंठो की फौज एंटी रोमियो स्क्वाड बनके प्रेमी जोड़ों को न पीटते.
पुलिस आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ पर लाठियां न बरसाती.
शिक्षामित्रों पर लाठियां न बरसती.
और भी न जाने कितने इंसिडेंट हुए महिला उत्पीड़न को लेकर.

इसबार तो मायावती ने हद कर दी है, कोई उम्मीद नहीं बची है इनसे जैसा इनका बिहेवियर रहा है.हो सकता मायावती और अखिलेश को इसके बाद अपने अम्बेडक्राइट और समाजवादी होने का अक्ल आये.

यह पोस्ट अनामिका सिंह के फेसबुक वॉल से ली गई है

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