शहनवाज हुसैन, मधेपुरा। स्वास्थ्य मंत्री के दावों में भले ही मधेपुरा का जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज विश्वस्तरीय हो। जबकि वास्तविकता यह है कि इस मेडिकल कॉलेज में कोरोना के संदिग्धों की जांच के लिए ब्लड सैंपल तक लिए जाने की व्यवस्था नहीं है। जांच के लिए ब्लड सैंपल की व्यवस्था नहीं रहने से कोसीवासियों को दरभंगा और भागलपुर के मेडिकल कॉलेज भेजना पड़ रहा है। इससे पूरे कोसी के लोगों की परेशानी हो रही है। सहरसा के लोगों को भागलपुर के जेएलएनएमसीएच भेजने की मजबूरी है। वहीं मधेपुरा से कोरोना के संदिग्ध मरीजों को दरभंगा भेजा जा रहा है। जिले में अब तक सामने आए पांच संदिग्धों को सदर हॉस्पिटल से दरभंगा व भागलपुर मेडिकल कॉलेज ही भेजा गया है।
बताया जाता है कि फिलहाल जांच की सुविधा सिर्फ पटना में है। लेकिन राज्य सरकार ने संदिग्धों की जांच के लिए सैंपल लेने के लिए कई मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था की है। यहां जांच के लिए ब्लड सैंपल लेने की व्यवस्था रहती तो कोसी के कोरोना संदिग्धों को इसके लिए दरभंगा नहीं भेजना पड़ता। जबकि अभी बाहर प्रदेशों व महानगरों से आने वाले संदिग्धों के लिए व्यापक पैमाने पर जांच एवं जांच के लिए सैंपल लेने की जरूरत पड़ेगी।
सात मार्च को सीएम ने किया है उद्घाटन 786 करोड़ की लागत से तैयार इस मेडिकल कॉलेज के चिकित्सीय कार्यों का उद्घाटन सात मार्च को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था।
मेडिकल कॉलेज में तमाम तरह के चिकित्सीय सुविधा के दावा किए गए थे। इसी बीच कोरोना का कहर सामने आ गया। कोरोना को लेकर सभी तरफ हाई अलर्ट के बावजूद मेडिकल कॉलेज में कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जबकि जिले में अब तक कोरोना के पांच संदिग्ध मरीज सामने आ चुका है। यहां जांच व इलाज की सुविधा नहीं रहने के कारण सभी संदिग्ध मरीजों को दरभंगा मेडिकल कॉलेज रेफर कर देना पड़ा। दावा नहीं हुआ पूरा सात मार्च को मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन के मौके पर सीएम से लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने बड़े-बड़े दावा किए थे। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने तो मेडिकल कॉलेज को विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल बताया था। लेकिन कोरोना के कहर में एक तरफ जहां आनन फानन में सरकार सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। वहीं इस मेडिकल कॉलेज में अब तक कुछ विशेष व्यवस्था नहीं की जा सकी है। अब तो मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन को भी 10 दिन से अधिक बीत चुके हैं।