आज शाम 3:30 बजे प्रेस क्लब ऑफ़ इंडियम AIMPLB ने प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया। इस प्रेस कांफ्रेंस में AIMPLB के प्रवक्ता SQR इल्यास, अमीरे शरीयत फैसल वली रहमानी सहित कुल 6 लोगों शामिल हुए। कुछ मिनटों के विलम्ब से शुरू हुए प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए AIMPLB के प्रवक्ता SQR इल्यास ने बताया कि बोर्ड ने आज वर्किंग कमिटी की बैठक बुलाई थी जो सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस मीटिंग में बोर्ड ने 8 प्रस्ताव पारित किए।
पहला प्रस्ताव में बोर्ड ने पिछले दिनों तेलंगाना मुस्लिम दम्पति के तलाक़ और ग़ुज़ाराभत्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरीयत एप्लीकेशन एक्ट की ख़िलाफ़वर्ज़ी है। बोर्ड इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
दूसरा प्रस्ताव में बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को देश की विविधता के खिलाफ बताया। SQR इल्यास ने बताया कि बोर्ड देश में विविधता में एकता की पक्षधर है। प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि केंद्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि देश की विविधता को समाप्त करने वाले समान नागरिक संहिता को लागू न करे। बोर्ड इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रही है।
तीसरा प्रस्ताव – वक़्फ़ की संपत्ति से सम्बंधित रहा जिसमे बोर्ड ने सरकार से कहा कि सरकार को चाहिए कि वक़्फ़ से सम्बंधित क़ानूनों में किसी भी प्रकार के संशोधन की कोशिश ना करें। इस सिलसिले में वक़्फ़ की सम्पत्तियों के मुतवल्लियों से भी अपील की गई कि वो वक़्त की संपत्ति का दुरूपयोग होने से रोकें।
पूजा स्थल क़ानून (प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट) से सम्बंधित चौथे प्रस्ताव में बोर्ड ने अपनी टिप्पणी देते हुए कहा है कि वो आज भी बाबरी मस्जिद को लेकर दिए गए फैसले को लेकर संतुष्ट नहीं है। बोर्ड समझती थी कि बाबरी मस्जिद मामले के बाद कोई नया मामला नहीं आएगा मगर कई नए मामले सामने आये है जो कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की ख़िलाफ़वर्ज़ी है।
पांचवां प्रस्ताव – फिलिस्तीन-इजरायल जंग के मुद्दे पर बोर्ड का मानना है कि भारत इस लड़ाई को रोकने एवं फलस्तीनियों को इन्साफ दिलाने में एक अहम रोल अदा कर सकता है। इस्राईल इस जंग में मानवाधिकार का खुला उल्लंघन कर रहा है और दुनिया में जो भी इजराइल की मनमानी के खिलाफ खड़े है उनका साथ दिया जाना चाहिए।
छठा प्रस्ताव – लोकसभा चुनाव के बाद अचानक से भीड़ द्वारा हत्या मामलों में हुई बढ़ोतरी पर चिंता जताते हुए बोर्ड के प्रवक्ता SQR इल्यास ने कहा कि बोर्ड मानती है कि मॉब लिंचिंग असल में रूल ऑफ़ लॉ के लिए खतरा है। इससे कानून का राज ख़त्म होता है। क़ानून का राज बना रहे इसके लिए मॉब लिंचिंग के दोषियों के खिलाफ कठोर कारवाई की जानी चाहिए।
इसके अलावा AIMPLB के प्रवक्ता ने बताया कि बोर्ड की वर्किंग कमेटी में कुल 51 सदस्य है तथा उसमे 5 महिलाएं भी शामिल है। SQR इल्यास के अलावा मोनिशा बुशरा आबिदी ने भी पत्रकारों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का बीते दिनों दिया गया फैसला महिलाओं के अधिकारों की रक्षा नहीं करता। इस तरह के फैसलों से महिलाओं का जीवन आसान होने के बजाय कठिन होगा। हम महिलाएं अपने पूर्व पति पर आश्रित नहीं होना चाहतीं तथा स्वाभिमान से जीना पसंद करती है।
मोनिशा बुशरा के अलावा इस प्रेस कांफ्रेंस में अतिया सिद्दीक़ा, फज़लुर रहीम मुजद्दिदी, व बोर्ड सदस्य कमाल फ़ारूक़ी भी मौजूद रहे।