प्रेस विज्ञप्ति, दरभंगा:मोदी सरकार द्वारा कश्मीर में धारा 370 को रद्द करने एवं जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों -लद्दाख और जम्मू एवं कश्मीर में विभाजित करने की कड़ी भर्त्सना करता है और मांग करता है कि भारतीय संविधान और कश्मीरी जनता के विरुद्ध किए गए इस असंवैधानिक निर्णय को सरकार तत्काल रद्द करे.
इंसाफ मंच की ओर से जारी एक बयान में इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्षा नेयाज अहमद ने कहा कि कश्मीरी जनता पहले से ही भारतीय राज्य दमन से लगातार पिसती रही है. कभी भी उसके सवालों पर सरकारों ने संवेदनशील तरीके से हल का रास्ता नहीं अपनाया. लंबे समय से बंदूकों के बल पर कश्मीर और कश्मीरी अवाम के सवालों का हल खोजा जाता रहा है और आज उसी सैनिक ताकत के बलबूते मोदी सरकार ने कश्मीरी जनता और प्रतिनिधियों को किनारे करते हुए कश्मीर के हर तरह के संविधान प्रदत्त अधिकारों को ही खत्म कर दिया है. मोदी सरकार की यह कार्रवाई कश्मीरी जनता के साथ ही देश के लोकतंत्र और संविधान पर खुला हमला है.
इंसाफ मंच ने कहा कि राष्ट्रपति के आदेश से हुए इस निर्णय पर मोदी सरकार सरकार ने किसी भी तरह की संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करने की भी जरूरत नहीं समझी. भारतीय संविधान के अनुसार जम्मू एवं कश्मीर की सीमाओं को पुर्ननिर्धारित करने अथवा धारा 370 और धारा 35A के बारे में कोई भी निर्णय वहां की राज्य सरकार की सहमति के बगैर नहीं लिया जा सकता है. 2018 में जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा बगैर किसी दावेदार को सरकार बनाने का मौका दिये गैरकानूनी तरीके से भंग कर दी गई थी. यह एक अघोषित तख्तापलट है जो कश्मीर और उसकी जनता के साथ ही देश के लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले लोगों के साथ धोखा और विश्वासघात है।
इंसाफ मंच मांग करता है कि पूरे कश्मीर से सुरक्षा बलों की वापसी की जाय, धारा 370 और धारा 35A को तुरंत बहाल किया जाय और सभी विपक्षी नेताओं को नजरबन्दी से तत्काल रिहा किया जाय.
और कश्मीरी जनता की संवैधानिक मांगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से पूर्ण कर कश्मीर में विश्वास बहाली के लिए ईमानदारी से वास्तविक प्रयास किए जाऐं