मधेपुरा।अन्नदाताओं पर कोरोना का कहर,नहीं मिल रहे मजदूर

शहनवाज हुसैन,मधेपुरा।
सिंहेश्वर झिटकिया के किसान मशेउल्लाह,दिनेश यादव ,रमेश सभी परेशान हैं। खेतों में गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई है। पछिया हवा चलने से फसल सूख भी गई है। अब अगर कटाई नहीं की गई तो फसल बर्बाद हो जाएगी। लेकिन कोरोना का खौफ हर ओर है। मजदूर घर से निकलना नहीं चाह रहे हैं। आखिर, कैसे फसल तैयार की जाए। हर ओर डर का महौल है। कोरोना वायरस से सभी सहमे हुए हैं। यह परेशानी जिले के सभी किसानों की भी है। जिले में 48 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगी है। वहीं 32 हजार हेक्टेयर में दलहन की फसल लगी है। अगर अभी फसल तैयार नहीं की गई तो दिक्कत होगी। एक तो कोरोना का कहर ऊपर से लॉकडाउन। किसानों को डर सता रहा है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो आने वाले समय भयावह होगा। फसल के भरोसे ही तो उन्होंने कई सपने संजोए हैं। महाजन का कर्ज उतारना है। बिटिया की शादी, बच्चों की पढ़ाई। न जाने क्या-क्या उम्मीद की थी। फसल अच्छी हुई तो कोरोना उम्मीद पर पानी फेर रहा है

उदाकिशुनगंज के रामानंद यादव, अर्जुन साह, राकेश महतो कहते हैं कि ईश्वर की मर्जी के आगे हम क्या। अब वे ही समाधान करेंगे। सबकुछ उनके हाथ में है। विपदा किसानों का पीछा नहीं छोड़ता है। आखिर क्या करें। मजदूर डरे हुए हैं। खेतों पर जा नहीं रहे। किसी प्रकार परिवार के साथ मिलकर फसल तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह संभव नहीं है कि पूरी फसल तैयार हो पाएगा। वहीं ग्वालपाड़ा के अमरेश कुमार, शनिचर राम कहते हैं कि वे लोग परिवार के साथ मिलकर खेतों पर किसी प्रकार फसल की कटाई कर रहे हैं। लेकिन परेशानी काफी हो रही है। इधर अधिकारियों की मानें तो परिस्थिति विपरित है। लेकिन किसानों को चाहिए कि शारीरिक दूरी का पालन करते हुए फसल की कटाई करने की कोशिश करें।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity