बाबरी मस्जिद का फैसला अनुचित और निरशाजनक:पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया

प्रेस विज्ञप्ति
9 नवंबर 2019 शाहीन बाग नई दिल्ली
मुल्क के सुप्रीम कोर्ट के जरिए 500 साल पुरानी बाबरी मस्जिद की जगह को सुबूतों के खिलाफ मंदिर तामीर करने के लिए दूसरे फरीक़ के हवाले कर देना एक चौंका देने वाला फैसला है, इस फैसले ने एक बार फिर हिंदुस्तान के सर को दुनिया के सामने झुका दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई और कोर्ट ने यह भी तस्लीम किया है कि 1949 में मस्जिद में मूर्ति रखी गई और यह भी कुबूल किया है कि बाबरी मस्जिद को गैर कानूनी तौर पर 1992 को शहीद कर दिया गया, इसके बावजूद शहीद बाबरी मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने के लिए दे देना एक चौका देने वाला फैसला है।

इन बातों का इजहार ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल के ष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अहमद बेग नदवी ने किया
उन्होंने कहा कि: यह बहुत ही अफसोसनाक बात है कि मुसलमानों को दूसरी जगह मस्जिद बनाने की हिदायत दी जाए और शहीद बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर तामीर करने के लिए फरीक़ मुखालिफ को दे दी जाए।
इस फैसले को तारीख याद रखेगी अदालत का यह फैसला अल्पसंख्यकों के हुक़ूक़ और दस्तूरी उसूल पर जबरदस्त हमला है।

बाबरी मस्जिद की शहादत के मौके पर जो फसाद और हजारों लोगों के खून से जो होली खेली गई है जिसकी दुनिया आज भी गवाह है।
बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद उस वक्त के वजीरे आजम ने वादा किया था कि मस्जिद दोबारा उसी जगह दोबारा बनाई जाएगी यह वादा अभी तक ना मुकम्मल है।
बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई और मुसलमानों ने उसमें 500 साल तक इबादत की है इसलिए उसको इंसाफ मिलने तक कानूनी और जुमहूरी तरीके पर कोशिशें जारी रहेंगी, बाबरी मस्जिद को इंसाफ दिलाने के लिए यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के कानूनी जद्दोजहद में ऑल इंडिया ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल खड़ी रहेगी।

इसी के साथ ऑल इंडिया काउंसिल के महासचिव मुफ्ती हनीफ अहरार ने तमाम हिंदुस्तानियों से अपील की है कि मुल्क में अमन अमाम बनाए रखैं, वतनी भाईयों के साथ भाईचारा को बढ़ावा दें।
ऑल इंडिया काउंसिल प्रवक्ता
एम एच अहरार सुपौलवी

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity