मर्कज़ुल मआरिफ़ अपने मिशन में कामयाब-हिंदुस्तान समेत दुनिया भर में यहाँ के फोज़ला दावते दीन का कर्तव्य निभा रहे है-MMERC की सिल्वर जुबली समारोह का आज से आरंभ-मौलाना बदरुद्दीन अज़मल,कारी उस्मान मंसूरपूरी सहित कई बड़ी हस्तियां हुए शामिल

नई दिल्ली – 4 अक्टूबर 2019 (प्रेस रिलीज़) :
मर्कज़ुल मआरिफ़ एडुकेशन और रिसर्च सेंटर के 25 साल पूरे होने पर वहाँ के फोज़ला ने तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन करके सिल्वर जुबली मना रहे है। जिसका आज जमीयत के मदनी हाल में आरंभ हुआ। आरंभिक सत्र को संबोधित करते हुए MMERC के संस्थापक मौलाना बदरुद्दीन अज़मल क़ासमी ने कहा कि मर्कज़ुल मआरिफ़ एक ख़ालिस मदरसों से जुड़ा हुआ एक आंदोलन है। जिसका उद्देश्य ऐसे बासलहियत , संजीदा, मोतदिल और बाक़ीरदार अफ़राद तय्यार करना है जो अंग्रेजी भाषा में इस्लाम की सही तर्जुमानी कर सके। ब्रादराने वतन और इस्लाम से नावाकिफ ग़ैर मुस्लिम भाइयों में इस्लाम का परिचय करा सके औऱ उनके ज़हनों मे पाए जाने वाली गलतियों का संतुष्टपूर्ण उत्तर दे सके। अल्हम्दुलिल्लाह इस मिशन में सफलता मिली है और मर्कज़ुल मआरिफ़ की कोशिशों से एक बड़ी संख्या में ऐसे उलमा की टीम तैयार हो गई है जो अंग्रेजी भाषा में शोध, तहक़ीक़, दावत, तबलीग, तस्नीफ, पत्रकारिता, तर्जुमा निगारी और दूसरे मैदानों में काम कर रहे है।

जामियाते उलेमा हिन्द के अध्यक्ष करी सय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने अपने सदरती संबोधन में मौलाना अज़मल के इस अकदाम की प्रशंसा करते हुए कहा कि अंग्रेजी ज़ुबान में दरसों तदरीस भी धर्म का हिस्सा है और अंग्रेजी भाषा सिख कर लोग दावतों तबलीग का नुमाया कर्तव्य निभा रहे है। अमेरिका,यूरोप और दुनिया के दर्जनों देशों में मर्कज़ुल मआरिफ़ से शिक्षा प्राप्त करने के बाद दावते दीन और दफाये इस्लाम का अज़ीम कर्तव्य निभा रहे है। इन का प्रयास प्रशंसा के पात्र है । मुख्य अतिथि मौलाना सय्यद महमूद असद मदनी जामिते उलमा हिन्द के सचिव ने कहा कि मर्कज़ुल मआरिफ़ ने ज़माने के जरूरतों और तक़ाज़ों का खयाल रखते हुए यह कारनामा अंजाम दिया है। इसके सकारात्मक और प्रशंसनीय प्रभाव दिखा है और भविष्य में यह संस्था कौमो मिल्लत के लिए फायदेमंद साबित होगा। सिल्वर जुबली सेमिनार के कन्वेनर डॉ. उमर गौतम साहब ने खुतबाये इस्तेकबलिया पेश करते हुए MMERC के स्थापना का इतिहास और उस समय के हालात का विस्तार से विश्लेषण करते हुए बताया कि मरकज़ अपने मिशन और मकसद में मोकम्मल तौर पर कामयाब है और आए दिन यह संस्था तरक्की कर रहा है।

सेमिनार के दौरान लिखे गए मोकालत के मजमुआ सोवेनियर हाफत रोज़ा मिल्ली बसीरत के खुसूसी शुमारह MMERC के सदस्य मौलाना मोदस्सिर अहमद क़ासमी की किताब इंकलाबी तहरीरें , मर्कज़ुल मआरिफ़ का तआरुफ़नामा का रस्म उजरा भी अमल में आया। इसके इलावा मर्कज़ुल मआरिफ़ की खिदमात और मिशन के बारे में मिल्लत टाइम्स के एडिटर शम्स तबरेज़ क़ासमी के प्रोग्राम ख़बर दर ख़बर को प्रोजेक्टर के द्वारा पेश किया गया।

मर्कज़ुल मआरिफ़ एडुकेशन और रिसर्च सेंटर की स्थापना 1994 में हुवा था। जिसका उद्देश्य मदारिस के फोज़ला को अंग्रेजी भाषा सीखना था अब तकरीबन 20 से ज्यादा इदारे का क़याम अमल में आ चुका है। 25 वर्ष पूरे होने पर दिल्ली में 3 दिवसीय सेमिनार का आयोजन हो रहा है जिसका क्लीदी उनवान ” उल्लामाये मदरसा मॉडर्ननज़ीशन और मुस्लिम नौजवान है। आरंभिक सत्र के इलावा यह सेमिनार 4 बिज़नेस सेशन एक अंग्रेजी भाषा में कुल हिन्द ताक़रीरी मुसाबका पर मुस्तमिल है। 6 अक्टूबर को मालवंकर हॉल कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में इज़लासे आम होगा जिसमें मुल्क के प्रसिद्ध उलेमा दानिशवाराण और दूसरी बड़ी हस्तियों की शिरकत होगी।

आरंभिक सत्र का एखतेताम अजीजुर्रहमान फतह पूरी के दुवा पर हुवा। उससे पहले मुफ़्ती ताहा क़ासमी के तेलवत पर समारोह का आरंभ हुआ। मौलाना सादिक क़ासमी और मुफ़्ती जसीमुद्दीन क़ासमी ने मुश्तर्का तौर पर निज़ामत का फिरिज़ा अंजाम दिया।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity