राज्यसभा या लोकसभा का ख्याल रखकर एक एम एल सी की सीट पर अंदरखाने समझौता किया गया था, समझौता के नाम पर दीन बचाओ- देश बचाओ का कार्यक्रम कराया गया था, अलग अलग खबरों के अनुसार 5 से 10 लाख मुसलमान बिहार के गांधी मैदान में 15 अप्रैल 2018 को जमा हुआ था। मेरे जैसा मूर्ख तीन महीने इसका प्रचार प्रसार अपने खर्च पर किया था। तीन बसें अपने खर्च पर ले गया था। प्रोग्राम खत्म होने से पहले पर्दा हट गया था।
घर पहुंच कर दूसरे दिन हमने इमारत ए शरिया फोन किया, इमारत शरिया के नाजिम मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी ने कहा के तुम जैसे लाखों लोगों के सवाल का जवाब देने के लिए इमारत ए शरिया नही बनाया गया है। मेरा जवाब था की अगर पर्दे के पीछे डील का कारण नही बताया गया तो उन लाखों में से मैं सिर्फ उतने को ही जानता हूँ जिसे अपने खर्च पर लेकर गया था। मैं लाख तो नही लेकिन एक हजार से ज्यादा की भीड़ इकट्ठा करने की ताकत रखता हूँ, अगले हफ्ता इमारत ए शरिया का गेट इस एक हजार की भीड़ से जाम होगा, आप पुलिस को बुलाकर भीड़ खदेड़ने की तैयारी करें और हम मीडिया के साथ अगले सप्ताह आपके गेट के सामने आ रहे हैं। जवाब दें या मीडिया में खबर हम बनाएंगे।
उन्होंने कहा की आधे घँटे बाद फोन करो, मैंने आधे घँटे बाद फोन किया, उनका कहना था क्या माँग है, मैंने कहा दीन बचाओ-देश बचाओ के नाम पर धोखा क्युँ हुआ, ईमानदारी से जवाब चाहिए, फेसवुक लाइव पर आइये। डेट फिक्स हुआ, हम पटना गये, पटना से अपने मित्र
Khurram Malick को साथ लिया, वहां सब कुछ राज खुल गया, सब कुछ सिर्फ एक एम एल सी बनाने के लिए 10 लाख की भीड़ मुसलमानो के चन्दे के पैसों से जमा किया गया था। नाजिम साहब ने गलती मानी, फेसबुक पर लाइव भी आये, फेसबुक पर गोलमोल जवाब दिया लेकिन अंदर से बहुत टूटे लग रहे थे, वापस आकर हमने सच बताने का शुक्रिया अदा किया तो उन्होंने पूछा की अब आप लोग मुतमईन तो हैं, अब तो कोई धरना प्रदर्शन तो नही करोगे। यह है आज की सच्चाई।
उलमा का मतलब यह नही है की जज्बातों का सौदागर बने। राजनीति करनी है तो खुल कर करें, राजनीति के नाम पर सौदगिरी बन्द करें।
(Mustaqim Siddiqui)