फिरोजाबाद: कॉलेज में छात्राओं के बुर्का पहनकर आने पर पाबंदी, देवबंद के उलेमा ने जताई आपत्ति

फिरोजाबाद के एसआरके डिग्री कॉलेज में बुर्का पहनकर आने वाली मुस्लिम छात्राओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। शुक्रवार को दो छात्र गुटों में हुई मारपीट और पथराव की घटना के बाद कॉलेज प्रशासन यह फैसला लिया है। वहीं कॉलेज प्रशासन के फैसले पर देवबंद के उलेमा ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे बेतुका फरमान बताते हुए कहा कि कॉलेज प्रशासन का यह फैसला किसी भी तरह से ठीक नहीं है।
शहर के एसआरके डिग्री कॉलेज में शुक्रवार को दो छात्र गुटों में मारपीट हो गई थी। इस घटना के बाद कॉलेज प्रशासन ने ड्रेस कोड प्रभावी ढंग से लागू कर दिया है। कॉलेज में ड्रेस और आई कार्ड लेकर आने वाले छात्र-छात्राओं को ही प्रवेश दिया जा रहा है। शनिवार को मुस्लिम छात्राएं बुर्का पहनकर आई थीं तो कॉलेज प्रशासन ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। प्राचार्य और अनुशासन समिति के सदस्य मुख्य गेट पर तैनात रहे।
कॉलेज प्रशासन की ओर से छात्र-छात्राओं को हिदायत दी गई कि वे ड्रेस में और आईकार्ड के साथ आएं। एसआरके कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रभाष्कर राय ने बताया कि शुक्रवार को हुई मारपीट की घटना के बाद से कॉलेज में ड्रेस कोड लागू कर दिया है। बिना ड्रेस के बुर्का पहनकर आई छात्राएं वापस लौट गईं, उन्हें ड्रेस में आने की हिदायत दी गई है।
कॉलेज अनुशासन समिति के सदस्य शहरयार अली ने बताया कि छात्र-छात्राएं के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य है। जो मुस्लिम छात्राएं बुर्का पहनकर आती हैं, उनके लिए अलग से चेजिंग रूम की व्यवस्था की गई है। घर से बुर्का पहनकर आएं, किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं। मगर कॉलेज में प्रवेश के यूनीफार्म में ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि कॉलेज का अनुशासन बनाए रखने के लिए सभी छात्र-छात्राओं के लिए यूनिफार्म कोड लागू रहेगा।
कॉलेज के इस फरमान का देवबंद के उलेमा ने विरोध किया है। रविवार को जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि फिरोजाबाद के एसआरके कॉलेज प्रशासन का यह निर्णय महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है। कॉलेज ने यह फरमान जारी कर लोकतंत्र में मिला धार्मिक आजादी के विरुद्ध गैर कानून काम किया है।
कारी इस्हाक ने कहा कि इस्लाम धर्म में महिलाओं को बहुत कीमती माना गया है। इसके चलते मुस्लिम महिलाएं पर्दा करती हैं। उन्होंने कहा कि कॉलेज प्रशासन को मुस्लिम समाज से माफी मांगते हुए अपना
यह बेतुका फरमान वापस लेना चाहिए। गोरा ने सरकार से भेदभाव करने वाले गलत मानसिकता के लोगों पर लगाम कसने की मांग की ताकि लोकतंत्र आबाद रह सके।
(अमर उजाला, इनपुट)

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