बैंगलुरू: 7 सितंबर को सुबह 1:55 पर जब चंद्रयान का लेंडर विक्रम चांद की धरती पर कदम रखेगा उसी के साथ भारत एक नया इतिहास रच देगा. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के उतरने का सीधा नजारा देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 60 हाईस्कूल विद्यार्थियों के साथ बेंगलुरु स्थित इसरो केंद्र में मौजूद रहेंगे. इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया कि अब तक चांद पर भेजे गए मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग के चांस केवल 37 फ़ीसदी ही सफल हुए हैं. हालांकि बावजूद इसके इसरो पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरा है कि यह मिशन सफल होगा. दरअसल वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट में हमेशा यह एक रूल रहा है कि अगर किसी एक्सपेरिमेंट के पास होने के एक फ़ीसदी भी चांस हो तो उसे जरूर आजमाया जाता है. अनगिनत सपनों को लेकर चंद्रमा पर गए चंद्रयान-2 के पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह पर सफलतापूर्वक उतरने के साथ ही रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत वहां सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा और चंद्रमा के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान 7 सितंबर की सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह के बीच बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के 14 दिन के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है और यह लगातार चंद्रमा की परिक्रमा कर धरती पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों को संबंधित जानकारी भेजता रहेगा. गौरतलब है कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते 15 जुलाई को टाल दिया गया था. इसके बाद 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण की तारीख पुनर्निर्धारित करते हुए इसरो ने कहा था कि चंद्रयान-2 अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है.
(ABP)