*फलक पे चाँद मोहर्रम का जब नजर आया*सफर में याद मोसफिर को अपना घर आया*

मुजफ्फरुल इस्लाम,घोसी(मऊ):स्थानीय नगर के बड़ागाँव में मोहर्रम के चाँद रात को ही जुलूस निकाल कर मोहर्रम की याद मनाई गई। नगर के शिया मोहल्ले में चाँद रात के पहले ही शिया समुदय की औरते आपने हाथो की चूड़िया तोड़ देती है। कोई ज़ेवर सिंगार या चमक धमक का कपड़ा कोई नई खरीदारी नही करती। ये पैग़म्बर मोहम्मद साहब के नाती इमाम हुसैन की याद में 70 दिनों तक कोई ख़ुशी नही मनाते यहाँ तक की खाने पिने से लेकर कोई जशन या कोई भी नया काम नही करते इनका मकसद सिर्फ 70 दिनों कर्बला में इमाम हुसैन और उन के परिवार पर हुए अत्याचार और उनके परिवार पर यज़ीद द्वारा हुए ज़ुल्म को याद कर रोते है और उन के परिवार को श्रद्धांजलि देते है।

नगर स्थित बड़ागाँव में शनिवार से ही जुलूस शुरू हो गया है । चाँद देखते ही हर मर्द औरत काला कपड़ा हर घर पर काले झंडे हर घर में गम का माहौल हर चेहरे से ख़ुशी गायब सी हो जाती है । उसी की याद में इस्तकबाले मोहर्रम 29 तारीख उर्दू की ये उर्दू महीने का आखिरी दिन होता है। मोहर्रम उर्दू की पहली तारीख हो ती है। ये महीना हज़रत इमाम हुसैन और उन के परिवार के लिए बिछड़ने का महीना है। मोहर्रम की 10 वी को उनको और उन के 72 साथियो को शहीद किया गया था। वो भी इसलिए की यज़ीद द्वारा अल्लाह के दिन को बदलने की कोशिश कर रहा था। मुहम्मद साहब की मेहनत बर्बाद कर रहा था। तब इमाम हुसैन ने कहा की मै अपने नाना का दिन नही मिटने दूँगा। चाहे अपनी जान दे दूँगा। आज अंजुमन मसुमिया कदीम एवं अंजुमन सज्जादिया द्वारा जुलुस निकल कर इस्लाम की जीत का डंका बजाया।

इस कार्यक्रम में सहयोग इस्तेयक हुसैन, मौलाना मोझाहीर,अहमद औन, जौहर अली, साज़िद हुसैन, नूर मुहम्मद, मज़हर नेता ,अलमदार, लड्डन बनारसी,मोझाहीर,मोहम्मद,अहमद अली,समीमूल हसन आदि लोग रहे।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity