मैं बांटूंगा क़ुरआन की प्रतियां,क्या आप मुझसे नफरत करेंगे?

रांची की अदालत में एक छात्रा का मामला आया। आरोप था कि उसने फेसबुक पर इस्लाम के बारे में ऐसी बात पोस्ट की जो नहीं करनी चाहिए थी। जज साहब ने छात्रा को इस शर्त के साथ जमानत दी कि वह पवित्र क़ुरआन की पांच प्रतियां दान करे। इस एक निर्देश से रांची के कई वकील नाराज हो गए। सोशल मीडिया में जज के खिलाफ अभियान शुरू हो गया और टीवी चैनलों पर चीख-चीखकर बहस होने लगी।

मुझे अदालत के इस निर्देश में ऐसा कुछ नहीं लगता जिस पर आपत्ति जताई जाए। मेरा मानना है कि जज साहब की मंशा यह रही होगी कि लड़की ने इस्लाम के बारे में गलत लिखा है। अगर वह क़ुरआन की पांच प्रतियां दान करेगी तो इससे उसके आचरण में अच्छा बदलाव आएगा। हो सकता है कि कुछ पन्ने पढ़ने से उसे यह भी समझ में आ जाए कि इस्लाम वह नहीं है जो वॉट्सअप और फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट की शक्ल में लोग बिना सोचे-समझे शेयर कर रहे हैं।

लेकिन देशभर में कुछ लोगों ने इस आदेश पर जिस ढंग से प्रतिक्रिया दी, उस पर मुझे बहुत अफसोस हुआ। जज ने यह नहीं कहा कि छात्रा इस्लाम कबूल कर ले। क्या हो जाता अगर वह क़ुरआन की पांच प्रतियां बांट देती? मेरे विचार में इससे समाज में अच्छा संदेश जाता, लेकिन कुछ लोगों ने इसे भी नफरत के चश्मे से ही देखा। ताज्जुब होता है कि इनमें उच्च शिक्षित लोग शामिल हैं!

अक्सर सुनते हैं कि हम विश्वगुरु थे और हमें फिर से विश्वगुरु बनना है। हे महान लोगो, आप एक किताब की पांच कॉपियों से इस कदर भड़क गए, तो कैसे विश्वगुरु बनोगे? विश्वगुरु बाद में बनते रहना, पहले अपना दिल बड़ा करो।

इस देश की न्यायपालिका को मैं कोई सुझाव नहीं दे सकता और न ही मेरी ऐसी योग्यता है, लेकिन बतौर एक आम नागरिक जब मैं सोशल मीडिया पर किसी भी धर्म के खिलाफ अभद्र बातें देखता हूं तो तकलीफ होती है। देश की अदालतों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि सोशल मीडिया पर जब भी कोई शख्स किसी धर्म के खिलाफ अपमानजनक बातें लिखे तो उसे उसी धर्म के प्रार्थनास्थल पर कुछ माह तक सेवा करने और झाड़ू लगाने का हुक्म दे। मैं समझता हूं कि इससे उस शख्स का अहंकार दूर होगा और मन में छिपी नफरत काफी हद तक कम होगी।

रही बात क़ुरआन की पांच प्रतियां बांटने की.. वो मैं बांटूंगा। जिसे मेरा विरोध करना है, खूब करे। जिसे जाति से मेरा बहिष्कार करना है, वो आज और अभी कर दे। यह देश किसी एक जाति, समुदाय, पंथ और विचारधारा का नहीं, हम सब भारतवासियों का है। यहां आरती भी होगी और अज़ान भी, शब्द कीर्तन भी और प्रार्थना भी।

.. जय हिंद, जय संविधान ..

– राजीव शर्मा – (कोलसिया)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity