सिपाही अब्दुल गनी की हत्या का फिर लगा कांग्रेस सरकार के माथे पर दाग।

अशफाक कायमखानी।जयपुर।
राजस्थान मे करीब सात मोबलिंचीग की घटनाओं के अलावा अशोक गहलोत के पीछले मुख्यमंत्रीकाल मे गोपालगढ मस्जिद मे नमाजियों पर गोली चलाकर मारने के अतिरिक्त थानेदार फूल मोहम्मद को डयूटी पर जींदा जला देने के घाव अभी भरे भी नही थे कि अब अशोक गहलोत के नेतृत्व मे कांग्रेस सरकार बनने के बाद कोटा मे रमाजान खां नामक कैदी को गार्डों द्वारा पीट पीटकर मारने के बाद अब सिपाही अब्दुल गनी को राजसमंद जिले के भीम उपखंड के बरार पंचायत मे सरकारी डयूटी करते हुये मौत के घाट उतारने के बावजूद सरकर की कुम्भकर्णी नींद अभी तक टूटी नही है। सिपाही अब्दुल गनी से पहले राजसमंद जिले मे ही अफराजूल नामक मजदूर को मौत के घाट उतारा जा चुका है।

राजसमंद जिले के भीम उपखंड की बरार ग्राम पंचायत के रातिया थाक गांव में हेड कांस्टेबल अब्दुल गनी पर हमला सोच-समझकर किया गया। वारदात को अंजाम देने के लिए हमलावरों ने सुनसान जगह चुनी, जो गांव से बाहर करीब एक किलोमीटर दूर है। इस हत्या से पूरे क्षेत्र मे सनसनी फैली हुई है।

जानकारी अनुसार शाम के वक्त घटनास्थल पर सड़क किनारे घायलावस्था में पड़े हेड कांस्टेबल अब्दुल गनी को जब आते-जाते किसी ने देखकर पुलिस थाने में सूचने देने के बाद एम्बुलेंस मंगवाकर घायल हेड कांस्टेबल को भीम के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया। वारदात की सूचना मिलने पर पूरे इलाके में सनसनी फैलने के साथ पूरा पुलिस प्रशासन भी सकते में आ गया बताते है।

स्थानीय भीम थाने के सीआई, उप अधीक्षक और राजसमंद से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश गुप्ता सुचना मिलते ही मौके के लिए रवाना हो गए। प्रशासनिक अधिकारी भी घटनास्थल पहुंचे। भीम अस्पताल में चिकित्सकों ने घायल हेड कांस्टेबल का उपचार शुरू किया ही था कि थोड़ी देर बाद उनका दम टूट गया। यह खबर फैलते ही बड़ी संख्या में अस्पताल परिसर में लोग एकत्र हो गए। उधर, गांव के के बाहर घटनास्थल पर भी पुलिस पहुंची।

मौके के हालात बता रहे थे कि पुलिस अधिकारी पर किसी भारी वस्तु से सिर पर वार किए गए। देर रात पता चला कि 12 जुलाई को जमीन विवाद में दर्ज मारपीट के एक मामले में बयान दर्ज कर मोटरसाइकिल से लौट रहे थे। रास्ते में अज्ञात मोटरसाइकिल सवार लोगों ने चलती बाइक पर उनके सिर पर लट्ठ से हमला कर दिया, जिससे वह बीच रास्ते में ही गिर पड़े और आरोपी भाग गये। पुलिस अधिकारी की हत्या होने पर पुलिस जांच में तो जुटी रही, लेकिन देर रात तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। आला अधिकारी मामले की तहकीकात में जुटे रहे। हालांकि देर शाम एक व्यक्ति को पुलिस जीप में बैठाकर लाई और हिरासत में लिया, मगर उसे लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया। देर रात पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव भी मामले की गम्भीरता को देखते हुए भीम पुलिस थाने पहुंचे तथा अनुसंधान के दिशा-निर्देश दिए।

मृतक हेड कांस्टेबल अब्दुल गनी के परिवार में चार पुत्रियां और एक पुत्र तथा पत्नी है, जो इन दिनों कुंवारिया में ही रह रहे थे। ये सभी देर रात भीम पहुंच गए। अब्दुल गनी फरवरी 1995 में राजस्थान पुलिस सेवा में आए थे। पुलिस कांस्टेबल के तौर पर कुंवारिया, आमेट, देवगढ़, राजसमंद में सेवाएं दी। देवगढ़ मुस्लिम महासभा ने आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है।

कुल मिलाकर यह है कि गाय के नाम पर होने वाली मोबलिंचीग मे हत्यायों का सीलसीला जो भाजपा सरकार मे जारी था वो आज कांग्रेस सरकार मे भी जारी है। जबकि अशोक गहलोत की पीछली सरकार के समय थानेदार फूल मोहम्मद को सरकारी ड्यूटी पर जींदा जलाने के बाद अब हेड कांस्टेबल अब्दुल गनी को भी सरकारी ड्यूटी निभाते समय मौत के घाट उतार दिया गया है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity