आत्म सम्मान के लिए शरारती तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा
मिल्लत टाइम्स,लुधियाना,28 जून:झारखंड में मुहम्मद तबरेज अंसारी कि माउब्लिंचिंग से हुई हत्या के साथ देश में एक बार फिर मुस्लिम समाज में गम और गुस्से की लहर दौड़ गई है, आज यहां ऐतिहासिक जामा मस्जिद में मजलिस अहरार इस्लाम हिन्द की ओर से बुलाए गए पत्रकार सम्मेलन में शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने दो टूक कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें माउब्लिंचिंग को रोकने में नाकाम साबित हुई हैं, आए दिन देश भर में निहत्ते और बेगुनाह व्यक्तियों को सिर्फ उसके धर्म के आधार पर पीट-पीट कर मारा जा रहा है। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि हम केंद्र और सभी राज्य सरकारों को कहना चाहते हैं कि माउब्लिंचिंग की गुंडा गर्दी किसी भी कीमत पर सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने कभी किसी के साथ कोई जियादती नहीं की है लेकिन अगर शरारती तत्व अपनी सियासी ताकतों का गलत तरीके से इस्तेमाल करके आतंक फैलाना चाहेंगे तो इन घरेलू आतंकियों को उनकी ही भाषा में जवाब दिया जाएगा।
शाही इमाम ने कहा कि माउब्लिंचिंग की घटनाओं से इंसानियत का सिर शर्म से झुक गया है , अपने आप को सूरमा समझने वाली भीड़ हमला भी करती है तो सिर्फ किसी एक व्यक्ति पर। शाही इमाम ने कहा कि हम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी से भी कहना चाहते है कि नई सरकार बनते ही आप सभी अल्पसंख्यकों के विकास और उनका विश्वास जीतने की बातें संसद में कर रहे हैं और दूसरी तरफ झारखण्ड, हरियाणा, बंगाल व देश के दूसरे राज्यों में शरारती तत्व बिना किसी खौफ के इंसानियत का जनाजा निकाल रहे है। शाही इमाम ने कहा कि हम गुंडा तत्वों को बता देना चाहते हैं कि वह ऐसी हरकतें करके हमसे हमारा धर्म नहीं छीन सकते, देश के सभी मुसलमान गर्व से अल्लाह हू अकबर कहते रहेंगे, यह हमारा हक है जो संविधान ने प्रत्येक भारतीय को दिया है।
शाही इमाम ने कहा कि सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम हो गई है और दूसरी तरफ देश में अराजकता फैलाने और अमन सकून बर्बाद करने कि साजिशें हो रही हैं लेकिन ऐसा काम करने वाले यह भूल रहे हैं कि यहां सिर्फ अल्पसंख्यक ही नहीं रहते। एक सवाल के जवाब में शाही इमाम ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ना जागी तो हम एक विशाल रोष मार्च करके अपनी आवाज देश के शासकों तक पहुंचाएंगे। इस अवसर पर नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी, गुलाम हसन कैसर, शाहनवाज खान, मुहम्मद मुस्तकीम व बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग उपस्थित थे।