मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:असम में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित एक पूर्व सेना अधिकारी को बुधवार को ‘विदेशी’ घोषित कर हिरासत में ले लिया गया.भारतीय सेना में 30 साल सेवा दे चुके मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित किया है।विदेशी घोषित होने के बाद सनाउल्लाह और उनके परिवार को नजरबंदी शिविर में भेजा गया.कामरूप जिले के बोको थाना क्षेत्र के कोलोहिकस गांव निवासी और अब सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) के पद पर कार्यरत मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी न्यायाधिकरण,कामरूप द्वारा ‘विदेशी’ घोषित किया गया है.
कांग्रेस ने असम में कारगिल युद्ध लड़ने वाले सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित करने पर तीखी प्रतिक्रिया दी.कांग्रेस का आरोप है कि एनआरसी प्रक्रिया के तहत हुई यह कार्रवाई जवानों के बलिदान का अपमान है.पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा,’आश्चर्यजनक! बीजेपी सरकार ने कारगिल युद्ध के नायक को ‘विदेशी’ घोषित कर दिया.यह सैन्य बलों के बलिदान का अपमान है.यह इस बात को साबित करता है कि एनआरसी को असम में किस हद तक गलत तरीके से लागू किया गया है.’
खबरों के मुताबिक,भारतीय सेना में 30 साल तक सेवाएं दे चुके मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल) ने विदेशी घोषित किया है. विदेशी घोषित होने के बाद सनाउल्लाह को परिवार सहित गोलपाड़ा के डिटेंशन कैंप भेजा गया है
Shocking!!
BJP Govt has labelled the ‘Foreigner’ tag to a Kargil War Hero!
It is an insult to the sacrifice of our brave Armed Forces.
This speaks volumes about the high handedness & flawed manner in which the NRC exercise is being implemented in Assam. https://t.co/PL7YOTgzcX
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 30, 2019
सनाउल्लाह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम राष्ट्रीय रजिस्टर पंजी (एनआरसी) में नहीं हैं.न्यायाधिकरण ने 23 मई को जारी आदेश में कहा कि सनाउल्लाह 25 मार्च,1971 की तारीख से पहले भारत से अपने जुड़ाव का सबूत देने में असफल रहे हैं और वह इस बात का भी सबूत देने में असफल रहे कि वह जन्म से ही भारतीय नागरिक हैं.
मोहम्मद सनाउल्लाह की बेटी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके पिता ने न्यायाधिकरण को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे,जिसमें मतदाता कार्ड और पैतृक संपत्ति के दस्तावेज शामिल थे।उनके परिजनों ने कहा कि वह न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील करेंगे।