बेटियों के लिए मिसाल बनी जामिया की छात्रा हाफ़िज़ा माहरुख फातिमा एरम,अब बनना चाहती है IAS

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:रमज़ानुल मुबारक का आख़री अशरा शुरू होते ही जगह-जगह क़ुरआने करीम के मुकम्मल होने का दौर जारी हो गया है, मस्जिदों के अलावा घरों में भी ख़त्म तरावीह का एहतेमाम किया जा रहा है।
इसी तरह अबुल फज़ल इंक्लेव जामिया नगर में डॉक्टर अदील अहमद की 21 साला होनाहार साहबजादी हाफ़िज़ा माहरुख फातिमा एरम की इमामत में ख़वातीन की 23 रोज़ में क़ुरआने करीम मुकम्मल किया गया, क़ुरआने करीम मुकम्मल होने पर लोगों में खुशी और मुसर्रत पाई जा रही है, इस बच्ची की हौसला अफजाई और दुआओं से नवाज़ने के लिए आस-पास की 50 से ज्यादा ख़वातीन व मोअल्लीमा ने शिरकत की और बच्ची को मुबारकबाद पेश किया, रमज़ानुल मुबारक की फ़जीलत पर रौशनी डालते हुवे हाफ़िज़ा माहरुख फातिमा एरम कहती है की रमज़ानुल मुबारक अल्लाह की तरफ से एक ऐसा तोहफाह है जिसने अल्लाह पाक की खाश रहमत और बरकत नाज़िल होती है, इसी महीना में अल्लाह ताला ने कुरआन जैसी मुकद्दस किताब नाज़िल फरमाई जो तमाम आलम के लोगों के लिए हिदायत है, जितना ज़्यादा हो सके इस महीना में इबादत करनी चाहिए।

रमज़ान का आखिरी अशरा शुरू हो चुका है मुसलमान इन अय्याम में अल्लाह की खास रहमतों और बरकतों से फ़ैज़याब हो, माहरुख फातिमा मज़ीद कहती है के हमें झूठ ज़िनाह गीबत और हर तरह की दुनियावी चींज़ों को तर्क करके अल्लह ताला के हुज़ूर में अपने तमाम गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। इस अशरा में पांच ऐसी रातें हैं जिसे शबे कदर कहा जाता है ये तमाम रातों से अफ़ज़ल है, इन पांच रात में कोई एक ऐसी रात है जो खास है, इस रात में लोगों को कसरत से अपनी गुनाहों से तौबा करनी चाहिए। वाज़ेह हो के माहरुख फातिमा का ताल्लुक बिहार के मधुबनी ज़िला के सुन्हौली गांव से है, और उसने कम उमरी में क़ुरआन जैसी बा बरकत किताब को हिफ़्ज़ करने की सआदत हासिल की है, खत्म तरावीह के बाद हाफ़िज़ा माहरुख फातिमा की आंखे नम थी, आज से तीन साल पहले उनकी वालिदा का जामिया नगर में सड़क हादसे में इंतकाल हो गया था, माहरुख फातिमा ने पटना में मौजूद अल हिरा पब्लिक स्कूल से हिफ़्ज़ मुकम्मल करने के बाद, दिल्ली के खदीजतुल कुबरा गर्ल्स पब्लिक स्कूल से 10वीं और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से 12वीं और ETE की तालीम हासिल की है और अब जामिया में B.A फाइनल इयर की स्टूडेंट है।

माहरुख ने हमसे बात करते हुवे आगे कहा, “मैं हमेशा से कलेक्टर बनना चाहती थी। जब मैं 7वीं क्लास में थी, एक लेडी ऑफिसर मेरे स्कूल आई थी। बाद में मुझे पता चला कि वह कलेक्टर थी। मैं उनसे काफी इम्प्रेस हुई। उसी वक्त मैंने तय कर लिया था कि मैं कलेक्टर बनूंगी और आईएएस ऑफिसर बन कर समाज के दबे कुचले तबके की मदद और औरतों के एम्पावरमेंट के लिए काम करना चाहती हूं। खास कर गांव वाले इलाकों में लड़कियों की तालीम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। समाज के सामने मिसाल कायम करना चाहती हूं कि लड़कियां किसी से कम नहीं हैं।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity