डॉक्टर मोहम्मद मंजूर आलम
रमजान उल मुबारक रहमतों मगफिरतों और आतिश जहन्नम से निजात हासिल करने का महीना है-यह गम गसारी हमदर्दी,जान निसारी और खर्च करने का महीना है इस माह मुबारक मे हमें एक दूसरे का गम और दुख बांट लेना चाहिए माह रमजान में हमें अपने आमाल का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और गौर करना चाहिए कि दुनिया ए इस्लाम की मौजूदा बेबसी और जिल्लत का सबब क्या है हमें अपने उन मुसलमान भाइयों की जरूरियात का भी ख्याल रखना चाहिए जो तंग दस्ती का शिकार है
रमजान उल मुबारक की खुसूसियत इस की फजीलत और अजमत की एक लंबी सूची है लेकिन इसमें महत्वपूर्ण स्वंय आत्म निरीक्षण है माह मुबारक मुसलमानों को अपने आमाल की आत्मनिरीक्षण की हिदायत करता है क्योंकि आत्मनिरीक्षण खुद इबादत के लिए मेहनत ज्यादा से ज्यादा नेकियों की प्राप्ति अल्लाह ताला की तौफीक से की जाने वाली नेकियों पर स्थायीकरण अमल की तौफीक और नेकियों को बर्बाद करने वाले आमाल से बचे दुनिया तथा आखिरत मे वही सआदत मंदी और कामयाबी की रौशन अलामत है फरमान बारी ताला है अनुवाद:
और जो व्यक्ति अपने रब के सामने खड़ा होने से डर गया और जो खुद को इच्छाओं से रोका [ 40] तो बेशक जन्नत ही उसका ठिकाना होगा [सुरह अल नाजआत:40:41]
ऐसे ही अल्लाह ताला ने जन्नत के बारे में फरमाया और वह आपस में एक दूसरे की तरफ आकर्षित होकर सवाल करते हुए [25] कहेंगे: इससे पहले हम अपने घर वालों ने दहक कर रहा करते थे [ 26] फिर अल्लाह ने हम पर एहसान किया और हमें तपती लू के अजाब से बचा लिया [ सुरह अल तूर :25-27 ]
एक जगह और अल्लाह ताला का फरमान है और हर व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसने कल के लिए क्या पेश किया है [ अल हशर:18 ]
इमाम इब्ने कसीर इसकी तफसीर में कहते हैं तुम खुद अपना आत्म निरीक्षण कर लो इससे पहले के तुम्हारा आत्मनिरिक्षण किया जाए यह देख लो के तुमने अपने लिए कितने नेक अमल किए हैं जो रोज कयामत तुम्हारे लिए फायदेमंद हो और तुम इन्हें अपने रब के सामने पेश कर सको
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो वसल्लम का फरमान है ( अकल मंदी वह है जो अपना आत्म निरीक्षण करें और मौत के बाद के लिए तैयारी करें और वह व्यक्ति परेशान है जो चले तो स्वभाविक इच्छाओं के पीछे लेकिन उम्मीद अल्लाह से लगाए) यह हदीस हसन है
एक मुसलमान चाहे मर्द हो या औरत जब तक अपना बेलाग एहतसाब नहीं करता है उनके अनुकूलन के अवसर सामने नहीं आते कमी कहां है? खता क्या है? गुनाह क्या है? और इनमें हमारा आत्म निरीक्षण कितना आलूदा है? यह सब लोगों की नजरों से ओझल रहता है सगीरह , कबीरह,जाहरी,बातनी,जाने आन , जाने किए गए गुनाहों की माफी मांग तो लेते है लेकिन इस जुमले की रूह से नाबल्द होते है – कोई नदामत का जज्बा इस जुमले के साथ नहीं होता , हवाई बातें और जबान की वर्जिश के सिवा कुछ नहीं होता ना दिल की दुनिया में शर्मिंदगी का ज्वार भाटा उठता है और न आंखों से जवाब दही की खौफ की बरखा तो क्या बरसनी नमी तक नहीं आती इसकी वजह यह है कि अपनी खताओं पर नजर ही नहीं होती आत्मनिरीक्षण तसल्ली देता है कि हमने ना कोई कत्ल किया है ना डाका डाला है ना बलात्कार किया है और ना ही देश व कौम से गद्दारी की है हम एक अल्लाह को मानते हैं इसके महबूब नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम को आखिरी नबी मानते हैं कुरान की तिलावत करते हैं रमजान अल मुबारक के महीने में रोजा रखते हैं हज उमराह करते हैं जकात अदा करते हैं बिनावर यह सब आमाल करने के बावजूद हम माफी भी मांगते है
निश्चित यह सब एक मुसलमान की सफात है और जन्नत ऐसे मुसलमान के लिए वाजिब है मगर क्या हम हुकूक अल्लाह,हुकूक अलअबाद की अदायगी में गुणवत्ता का भी ख्याल रखते हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि नेकी के मामले में कमतर गुनणवत्ता पर राजी होने की आदत में मुब्तिला है और दुनिया की इच्छाओं के लिए गुणवत्ता आला तरीन है क्या यह याद रहता है कि अल्लाह बंदा से यह सवाल करेगा कि तुझे हर मुमकिन वसायुक्त या रात चलाते और मोहलत दिए गए थे इसके हिसाब से क्या करके आए हो जो कमा के लाए हो वह अलग बात है यह देखा जाएगा कि क्या कुछ कर सकते थे वह क्यों नहीं किया
नी जान इसीलिए रखी जाएगी के दुनिया की चाहत के तलवे में वजन ज्यादा है या फिर आंखों की चाहत में वजन ज्यादा है दिल की सच्ची और 3 चाहत पर ही आमाल की दरगाह बंदी की जाएगी चुनांचे अल्लाह ताला ने मोमिनो को तलकीन की:
ए मोमिनो अल्लाह का तक्वा अपनाओ और हर आप निरीक्षण यह जायजा लेते रहे कि वह अपने कल आखिरत के लिए क्या जमा कर रहा है बेशक अल्लाह तुम्हारे हर अमरीकी खबर रखता है (कि वह अम्ल कितना गुणवत्ता पूर्ण है)”(अल हशर 18)
और अगर मॉर्निंग इस गुणवत्ता का जायजा लेने से लाभ होता है तो तू जतन या मामला सामने आता है और शासित और मॉर्निंग अभी बराबर नहीं हो सकते जैसे आप जन्नत और जहन्नम बराबर नहीं हो सकते (अल हशर) जन्नत में शामिल होने के लिए आज और अभी अपना ऐहतसाब करना होगा और अपने कल के लिए गुणवत्तापूर्ण नेकियां करनी होगी
आत्म निरीक्षण बेहतरीन से बेहतरीन का सफर बे टारगेट मंजिल या नसब अल ऐन को पूरा करने के लिए कोशिश करते हुए जो कमी कोताही हो जाए इसका हर समय तदारक करना जरूरी है जो गलती हो जाए उसको आगे बढ़ने से पहले सही कर लेना है बाकी जब मालिक के सामने काम की रिपोर्ट पेश करने हाजिर हो तो मालिक खुश हो जाए और इसको कुरानी जबान में तकवा अपनाना कहते हैं यहां तो मालिक रब कायनात है और इसकी हजूर पेसी कसी लम्हे भी अनुमान है और उसकी निगाहों से किसी समय भी हम और हमारे आमाल ओझल नहीं हो सकते उस रब की अजमत का एहसास इसकी जात की पहचान रब की रहमत का इरफान जिस कदर दिल में जाग जाएगा उसी कदर मोमिन का ईमान ताजा और मजबूत होगा
भूत वर्तमान और भविष्य के बारे में आत्म निरीक्षण खुद इस तरह होगा तो इंसान हर प्रकार के गुनाहों से तौबा कर ले नेकियों को बर्बाद करने वाले आमाल से बचे और ज्यादा से ज्यादा खैर व भलाई का काम करें जबकि बदबख्त जिल्लत और रुसवाई और हराम कामों के अरतकाब मैं है ऐसे ही नेकियां तर्क करने या नेकियों को तबाह करने वाले आमाल भी जिल्लत व रुसवाई का कारण बनते हैं नुकसान के लिए इंसान को इतना ही काफी है कि नेकियों का शवाब कम करने वाली हरकत कर बैठे
मुसलमान अपने अंदर ईमान कामिल पैदा करें सिर्क आमेच से सुरक्षित रहें अकीदा सही रखे हजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की सीरत तैबा को मशअल बनाए सुन्नत रसूल को जिंदगी का हिस्सा बनाएं और इस्लाम पर मजबूती के साथ कायम रहे इबादत के साथ सियासत समाजवाद शिक्षा और अन्य सामाजिकता कामों में भी अपनी कुताहियों कमियों का जाएजा ले और बेहतर की तलाश करें
रमजान मुबारक की एक विशेषता यह भी है कि इस मुबारक मे कुरान करीम नाजिल हुआ यह उम्मत मुसलमा के लिए हिदायत व रहमत वाली और हर आदमी के लिए विशेष नेमत है यह नेमत खुशहाल जिंदगी की भी जामन है रोजों के महीने में कुरान करीम का नाजिल खैर व बरकत और सआदत मंद जिंदगी का नुक्ता आगाज और आखिरत में बुलंद दर्जा पाकर कामयाबी हासिल करने का राज है कुरआन करीम से रोशनी मिलती है और अंधेरे छूट जाते हैं कुरान करीम अज्ञान और गुमराही का खात्मा करता है अल्लाह ताला का फरमान है
और इसी तरह हमने हुक्म से आपकी तरह वहीं की इससे पहले आप यह नहीं जानते थे कि किताब क्या चीज है और इमान क्या होता है लेकिन हमने इस रूह को एक रोशनी बना दिया हम अपने बंदे में से जिसे चाहे उसे रोशनी से राह दिखा देते हैं और आप सीधी राह एक तरफ रहनुमाई कर रहे हैं -[ अल शूर ?:52]
चुनांचे इस उम्मत के पहले या बाद मे आने वाले लोगों में से जो भी कुरान मजीद पर ईमान लाया तो उसने कुरान करीम की लगभग और पूर्ण नेमत का शुक्रिया भी अदा कर दिया नीज व्यक्तिगत तौर पर मिलने वाली नेमत का भी शुक्र अदा कर दिया है जबकि कुरान पर ईमान ना लाने वाला तमाम नेमतों की नि शुक्री करता है और जहन्नम में भी हमेशा रहेगा अल्लाह ताला का फरमान है इस दुनिया में से कोई भी उसका इंकार करेगा तो आग उस का ठिकाना है-[ सुरह हूद 17 ]
स्पष्टीकरण कलाम यह के रमजान में अपने ,आमाल किरदार ,अखलाक और समग्र सूरत हाल का आत्मनिरीक्षण जरूरी है यह महीना इबादत सब गुजारी, तिलावत कुरान, जिक्र वजकार और अल्लाह की रजा हासिल करने वाले आमाल के साथ आत्म निरीक्षण के लिए बेहतरीन अवसर है अल्लाह ताला हम सबको अपने आमाल का आत्म निरीक्षण करने और माह मुबारक में ज्यादा से ज्यादा नेक अमल करने की तौफीक अता फरमाए!
(लेखक:ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी हैं)