मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:150 से ज्यादा पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखकर सशस्त्र सेनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्य के लिए किए जाने पर नाराजगी जताई है। इन सैनिकों ने सेनाओं के गैरराजनीतिक चरित्र को बरकरार रखने के लिए इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील की। हालांकि, इस चिट्ठी पर विवाद तब खड़ा हो गया, जब पूर्व आर्मी चीफ जनरल (रिटायर्ड) एसएफ रॉड्रिग्स, पूर्व एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एनसी सूरी ने कहा कि उन्होंने इस चिट्ठी पर दस्तखत नहीं किए थे। उनके अलावा पूर्व आर्मी उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एमएल नायडू ने कहा कि दस्तखत करने वालों की सूची में उनका नाम सहमति के बिना शामिल किया गया।
आठ पूर्व सर्विस चीफ और 148 पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस मुद्दे पर पत्र लिखा। इसमें आर्मी चीफ (रिटायर्ड) जनरल एसएफ रॉड्रिग्स, जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी, जनरल (रिटायर्ड) दीपक कपूर और एयरफोर्स के एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एनसी सूरी के हस्ताक्षर दर्शाए गए थे। इसके अलावा पत्र में तीन पूर्व नेवी चीफ एडमिरल (रिटायर्ड) एल रामदास, एडमिरल (रिटायर्ड) अरुण प्रकाश, एडमिरल (रिटायर्ड) मेहता और एडमिरल (रिटायर्ड) विष्णु भागवत के भी नाम हैं।इनमें से जब कुछ से संपर्क किया गया तो पूर्व आर्मी चीफ जनरल (रिटायर्ड) दीपक कपूर, जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी और मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ ने खत लिखने की बात की पुष्टि की। चौधरी ने कहा कि इस खत के जरिए एक अहम मुद्दे पर पूर्व सैनिकों की भावनाओं को जाहिर किया गया था। राष्ट्रपति को यह खत इसलिए लिखा गया, क्योंकि वह संविधान के संरक्षक और सेनाओं के सुप्रीम कमांडर हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा- यह फर्जीआरोप
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह आरोप फर्जी हैं। उन्होंने रोड्रिगुएज और सूरी का हवाला भी दिया कि खत में उनके नाम सहमति से नहीं लिखे गए। उन्होंने कहा कि बिना इजाजत के इन लोगों का नाम दिया जाना निंदनीय है।
नहीं जानता कौन फैलाता है ऐसी फर्जी खबरें: पूर्व आर्मी चीफ
पूर्वआर्मीरॉड्रिग्सने ऐसे किसी भी पत्र पर हस्ताक्षर की बात को नकार दिया। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा- “मैं पूरा जीवन राजनीति से अलग रहा हूं। 42 साल तक अफसर रहने के बाद अब बदलना मुश्किल है। मैंने हमेशा भारत को पहले रखा। सेवा के दौरान सरकार ने हमें जो आदेश दिए हमने उनका पालन किया। हम सरकार के साधन हैं। कोई कुछ भी कह कर उसे फर्जी खबरों की तरह फैला सकता है। मैं नहीं जानता यह लोग कौन हैं जो इस तरह की फर्जी खबरें फैलाते हैं।”
उधर पूर्व एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने कहा, “मैंने लिखा है कि सेनाएं सियासत से नहीं जुड़ी होतीं और चुनी हुई सरकार का समर्थन करती हैं। लेकिन ऐसे किसी पत्र के लिए मेरा सहमति नहीं ली गई। पत्र में जो भी लिखा है मैं उससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं। हमारे बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया। यह एडमिरल रामदास का पत्र नहीं है। इसे किसी मेजर चौधरी ने लिखा है और यह वॉट्सऐप और ईमेल पर वायरल हो रहा है।”
पूर्व सैनिकों के पत्र में क्या?
इस पत्र में पूर्व सैनिकों ने नेताओं द्वारा मिलिट्री ऑपरेशन और क्रॉस बॉर्डर स्ट्राइक का श्रेय लिए जाने पर नाराजगी जताई। साथ ही आर्म्ड फोर्सेज को ‘मोदीजी की सेना’ बुलाने और पोस्टरों में पाक का एफ-16 मार गिराने वाले पायलट अभिनंदन की तस्वीर के इस्तेमाल को भी अस्वीकार्य बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि इस राजनीतिक एजेंडे के लिए सेना का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक रैली में सेना को मोदी की सेना बताया था। इस पर चुनाव आयोग ने भी ऐतराज जताया था।
(इनपुट भास्कर)