ये न्यू इंडिया है यहाँ प्रधानमंत्री बनने के लिए चायवाले से लेकर चौकीदार भी बनना पड़ता है.
लोकसभा चुनाव 2019 का बिग्गुल बज चुका है.सभी छोटे बड़े दल गठबंधन बनाने बिगाड़ने में लगे हुए हैं. एक तरफ़ राष्ट्रवाद का नारा दूसरी तरफ़ चौकीदार चोर है.
2014 में मोदी चायवाला बनकर आये थे 2019 में चौकीदार बनकर मीडिया में छाए हुए हैं.औऱ जो बुनियादी मुद्दे थे वो बहुत पीछे छूट गया है.
ये पहली बार होगा जब इतना बड़ा चुनाव अपने काम पर नही बल्कि मैं भी चौकीदार हूँ पर लड़ा जाएगा वैसे किस काम पर वो चुनाव लड़ेंगे जो लम्बे लम्बे वादे 2014 में किये थे.
उसमें किया पूरा हुआ 2 करोड़ रोज़गार,किसानों का कर्ज़ माफ़. महंगाई नोटबन्दी जीएसटी 100 दिन में कालाधन आएगा गंगा सफ़ाई योजना 100 स्मार्टसिटी, सांसद आदर्श ग्राम योजना इसमें कितना काम हुआ कोई बताना नही चाहता ये काम मीडिया का है वो सत्ता के सामने भजनमण्डली कर रहा है.
पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक का कितना फायदा होगा ये देखना होगा?
एक तरफ़ है बीजेपी जो हर किसी से भी गठबंधन करने को तैयार रहती है उनको लगता है गठबन्धन से उनको मामूली फायदा भी होगा वो गठबन्धन कर लेती है आज के समय में 30 से ज्यादा पार्टीयों का गठबंधन है उन्होंने अपनी जीती हुई सीट नवादा को भी अपनी सहयोगी लोजपा को दे दिया.
एनडीए में. 5 साल तक शिवसेना की गाली ताने सुनने के बाद भी उसने महाराष्ट्र में गठबंधन कर चुकी है असम में असम गनपरिषद से भी NRC के मामले में गठबंधन टूटा था आख़िर कार किसी तरह दोबारा गठबन्धन बन गया है.
2014 में यूपी के 80 में से 72 सीट जीत कर बीजेपी दिल्ली में मजबूत सरकार चला रही है लेक़िन सपा बसपा के साथ आने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है.सायद इसबार यहाँ उनको आधे से ज्यादा सीट का नुकसान उठाना पर सकता है.
2014 में बीजेपी कई राज्यों में क्लीन स्वीप कर दिया था लेक़िन उस जादू को दोहराना बहुत कठिन है.लेक़िन उसके बावजूद बीजेपी को बंगाल औऱ केरल में अच्छे सीट जीतने कि उम्मीद है क्योंकि उनका ध्यान इन राज्यों में ज्यादा रहा है.
दूसरी तरफ़ महागठबंधन पता नही ये कैसा गठबन्धन है जिसमें बंगाल में ममता कांग्रेस लेफ्ट पार्टियां अलग अलग चुनाव लड़ रहें हैं केरल में कांग्रेस सी.पी.एम. अलग अलग बिहार में सीटों को लेकर खींचतान ज़ारी है.
चंद्रबाबू नायडू के साथ अब तक राहुल गांधी का अच्छा बन रहता था कुछ समय पहले तक वो ग़ैर बीजेपी नेताओं को एक फ्रंट पर लाने की कोशिस कर रहें थें लेक़िन जब लोकसभा का चुनाव आया तो टीडीपी अलग कांग्रेस अलग चुनाव लड़ रहें हैं.
यूपी में सपा-बसपा के साथ कांग्रेस नही है लेक़िन कई जानकार बताते हैं कि कांग्रेस वहां अकेले जितनी मज़बूती से चुनाव लड़ेंगी उतना फायदा सपा-बसपा को मिलेगा क्योंकि कांग्रेस का वोटर बैंक भी स्वर्ण जातियां रही है वो जितना वोट काटेगी उतना गठबन्धन को फायदा होगा.
काँग्रेस में प्रियंका कि एंट्री किया कर पाती है वो वक़्त ही बताया गया लेक़िन टीवी पर प्राइम टाइम में कांग्रेस को दोबारा प्रियंका के लोकप्रियता ने हाँसिल करवाया है.
इस गठबंधन को चुनाव परिणाम के बाद वाला महागठबन्धन कहना ग़लत नही होगा अग़र बीजेपी को बहुमत नही मिला तो सब मिलकर केंद्र सरकार बनायेगें
लेक़िन इसमें प्रधानमंत्री के दावेदार बहुत ज्यादा है अब 23 मई के इंतेज़ार कीजिये किया कोई नया प्रधानमंत्री मिलता है या मोदी दोबारा जनता की उम्मीदों पर खड़े उतरेंगे?
ज़ीशान नैयर
छात्र पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद