PSE सर्वे के डेटा के मुताबिक पंजाब में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की लोकप्रियता में खासा इजाफा हुआ है. सितंबर से अब तक उनकी लोकप्रियता 4% से बढ़कर 16% तक पहुंच गई है. सिद्धू को करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोले जाने के फैसले को लेकर लाभ मिला है. PSE सर्वे के मुताबिक 42% वोटरों ने इसके लिए सिद्धू को श्रेय दिया. यही नहीं, पंजाब में पीएम पद के लिए राहुल गांधी भी नरेंद्र मोदी से आगे निकल गए हैं.
PSE:PM के लिए मोदी को पिछे छोड़ राहुल बने पहली पसंद CM के लिए अमरिंदर,सिद्धू का भी ग्राफ चढ़ा
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री के लिए वोटरों की पहली पसंद हैं लेकिन बीते तीन महीने में उनकी खुद की लोकप्रियता में 9% की गिरावट आई है. इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस माई इंडिया की ओर से पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज PSE सर्वे के डेटा के मुताबिक कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की लोकप्रियता में खासा इजाफा हुआ है. सितंबर से अब तक उनकी लोकप्रियता 4% से बढ़कर 16% तक पहुंच गई है. सिद्धू को करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोले जाने के फैसले को लेकर लाभ मिला है. PSE सर्वे के मुताबिक 42% वोटरों ने इसके लिए सिद्धू को श्रेय दिया.
अमरिंद सरकार के कामकाज से 41% वोटर असंतुष्ट, 34% संतुष्ट
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कामकाज से वोटर असंतुष्ट ज्यादा है संतुष्ट कम. PSE जनवरी सर्वे में 34% वोटरों ने राज्य सरकार के कामकाज से खुद को संतुष्ट बताया. वहीं तीन महीने पहले हुए PSE सर्वे में ये आकंड़ा 28 फीसदी ही था. ताजा PSE सर्वे में अमरिंदर सरकार के कामकाज से 41% वोटरों ने खुद को असंतुष्ट बताया. सितंबर PSE सर्वे में 45% प्रतिभागियों ने खुद को असंतुष्ट बताया था.
केंद्र में बीजेपी सरकार के कामकाज को लेकर 40% वोटर असंतुष्ट, 36% संतुष्ट
जहां केंद्र में बीजेपी सरकार के कामकाज का सवाल है तो पंजाब में 36% वोटर संतुष्ट हैं. तीन महीने पहले PSE सर्वे में ये आंकड़ा 31% था. केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज से PSE सर्वे में 40% ने खुद को असंतुष्ट बताया. तीन महीने पहले हुए सर्वे में ऐसे प्रतिभागी 42% थे.
प्रधानमंत्री के लिए लोकप्रियता में मोदी से आगे राहुल
ताजा PSE सर्वे के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री के लिए पंजाब में लोकप्रियता की दौड़ में नरेंद्र मोदी से आगे हैं. ताजा सर्वे में 37% प्रतिभागियों ने राहुल गांधी को पीएम के लिए पहली पसंद बताया. तीन महीने पहले हुए सर्वे में 36% वोटरों ने राहुल को पीएम के लिए पहली पसंद बताया था. जनवरी PSE सर्वे में 34% वोटरों ने मोदी को पीएम के तौर पर एक और कार्यकाल देने के पक्ष में राय व्यक्त की. तीन महीने पहले ये आंकड़ा 32% था. ताजा सर्वे में 9% प्रतिभागियों ने अरविंद केजरीवाल को भी पीएम के लिए अपनी पसंद बताया.
नवजोत सिंह सिद्धू को करतारपुर कॉरिडोर का श्रेय
एक्सिस माई इंडिया की ओर से इंडिया टुडे के लिए इकट्ठा किए गए PSE डेटा के मुताबिक कैप्टन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री के लिए वोटरों की पहली पसंद बने हुए हैं लेकिन बीते तीन महीने में उनकी खुद की लोकप्रियता में 9% की गिरावट आई है. ताजा सर्वे में 33% प्रतिभागियों ने कैप्टन को मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बताया. जबकि सितंबर PSE सर्वे में ये आंकड़ा 42% था. अमरिंदर कैबिनेट में मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की लोकप्रियता में बीते तीन महीने में खासा इजाफा हुआ है.
ताजा सर्वे में सिद्धू को 16% प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया. सितंबर PSE सर्वे में सिद्धू को सीएम के लिए अपनी पसंद बताने वाले प्रतिभागियों की संख्या महज 4 फीसदी थी. शिरोमणि अकाली दल नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को ताजा सर्वे में 24% प्रतिभागियों ने सीएम के लिए पहली पसंद बताया. तीन महीने पहले ये आकंड़ा 29% था. साफ है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल की लोकप्रियता में गिरावट का लाभ नवजोत सिंह सिद्धू को मिला है. ताजा सर्वे में सुखबीर सिंह बादल को 8%, AAP सांसद भगवंत मान को 6% और अरविंद केजरीवाल को 4% प्रतिभागियों ने ही मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बताया.
PSE सर्वे में पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के फैसले के लिए सबसे ज्यादा 42% प्रतिभागियों ने नवजोत सिंह सिद्धू को श्रेय दिया. सर्वे में 15% प्रतिभागियों ने मोदी और 14% ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को श्रेय का हकदार माना. 9% प्रतिभागियों की राय में बादल परिवार को कॉरिडोर खोलने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए. 20 फीसदी प्रतिभागी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके.
PSE सर्वे में 52% प्रतिभागियों ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन के समय सिद्धू के पाकिस्तान जाने के फैसले को सही बताया. वहीं 20% प्रतिभागियों ने सिद्धू के इस फैसले को गलत माना. इस सवाल पर 28% प्रतिभागी कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.
रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
PSE सर्वे के मुताबिक पंजाब में सबसे अहम चुनावी मुद्दा बेरोजगारी का है. सर्वे में सबसे ज्यादा 33% प्रतिभागियों ने रोजगार के अवसर को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा माना. वहीं 22% वोटरों की नज़र में महंगाई और 18% के मुताबिक कृषि और किसानों की दिक्कतें अहम मुद्दे हैं. 15 फीसदी प्रतिभागियों ने भ्रष्टाचार और 8% ने गावों को जोड़ने वाली सड़क को अहम मुद्दा बताया.
ये पूछे जाने पर कि अमरिंदर सरकार की ओर से मुफ्त स्मार्टफोन देने के फैसले से युवा मतदाता क्या कांग्रेस को समर्थन करेंगे, इस सवाल का 38% प्रतिभागियों ने ‘हां’ में जवाब दिया. वहीं 44% वोटरों ने कहा कि इसका कांग्रेस को लाभ नहीं मिलेगा.
पंजाब में ड्रग्स समस्या की वजह से भी अकाली दल को 2017 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा था और ये मुद्दा उसकी हार की वजहों में शामिल रहा था. अमरिंदर सरकार के आने के बाद ड्रग्स की समस्या की क्या स्थित है, इस सवाल पर ताजा PSE सर्वे में 41% प्रतिभागियों ने कहा कि अमरिंदर सरकार ड्रग्स की समस्या पर अंकुश लगाने के प्रयासों में सफल हो रही है. वहीं 46% की राय में ऐसे प्रयासों में अमरिंदर सरकार सफल नहीं हो पा रही है. सर्वे में 5% प्रतिभागियों ने कहा कि स्थिति पहले के जैसी ही है. इस सवाल पर 8% वोटर कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके.
पंजाब के किसानों को अमरिंदर सरकार के कृषि ऋण लोन माफी के फैसले से फायदा हुआ है? इस सवाल पर PSE सर्वे में वोटरों की राय बराबर बंटी दिखी. 43% प्रतिभागियों ने जहां कहा कि फायदा हुआ वहीं 43% की राय में फायदा नहीं हुआ. इस सवाल पर 14% प्रतिभागी कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके.
पंजाब में पराली जलाए जाने का मुद्दा वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है. सर्वे में 65% प्रतिभागियों ने कहा कि पंजाब सरकार को पराली जलाए जाने पर सख्त प्रतिबंध लगाना चाहिए. 20% वोटरों की राय में ऐसा प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए. इस सवाल पर 15% प्रतिभागी कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.
PSE सर्वे में जब किसान प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या पिछले चार सालों में किसानों की स्थिति में सुधार हुआ तो 37% प्रतिभागियों ने हां में जवाब दिया. वहीं 34% का कहना था कि किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.
अयोध्या में राममंदिर निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान रखते हुए वोट करेंगे तो 42% ने हां में जवाब दिया. वहीं 36% प्रतिभागियों का जवाब नहीं था. 22% वोटरों ने इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं की.
PSE सर्वे में 38% प्रतिभागियों ने राय व्यक्त की कि बीजेपी सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश (क़ानून) लाना चाहिए. वहीं 28% प्रतिभागियों ने कहा कि अध्यादेश नहीं लाना चाहिए. इस सवाल पर 34% वोटर कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके.
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) 2017 विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी थी. 2014 लोकसभा चुनाव में भी AAP को पंजाब में 4 सीटों पर कामयाबी मिली थी. लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव के बाद से ही पंजाब में AAP में आंतरिक उठापटक के चलते इसके कमजोर होने की ख़बरें सामने आती रहीं.
PSE सर्वे के मुताबिक 39% प्रतिभागियों ने माना कि पंजाब में AAP के कमजोर होने का कारण पार्टी के राज्य नेतृत्व से आंतरिक लड़ाई रहा. वहीं 23% प्रतिभागियों की राय में पंजाब में जनता का पार्टी से भरोसा उठ गया है. 11% प्रतिभागियों ने AAP के राज्य में कमजोर होने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार बताया. 27% वोटर इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके.
एक्सिस माई इंडिया की ओर से PSE सर्वे 2 जनवरी से 9 जनवरी 2019 के बीच किया गया. इस दौरान पंजाब के सभी 13 संसदीय क्षेत्रों में टेलीफोन इंटरव्यू लिए गए. इसमें 1,372 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.(आजतक इनपुट के साथ