भूल गये नये साल पे ,इन मांओं कि दिल कि बात कौन सुनेगा ? मोहम्मद अबशारूद्दील

आज, लोग नए साल कि शुभ कामनाएँ देते नहीं थक रहे हैं ,उन मांओं का क्या जिनके बच्चे को विद्या मंदिर से गायब कर दिया गया हो , जिसके लिए वह दर दर भटकने के लिए मजबूर हो , लेकिन उनका कोइ पुरसान हाल नहीं , और उसकी दिल कि बात कोइ सुनने वाला नहीं । किया एक हि व्यक्ति को दिल कि बात कहने और सुनाने का इखतिआर है किया उस माँ को अपने मन कि बात कहने का अधिककार नहीं ,और उस माँ कि मन कि बात कौन सुनेगा जिस के बच्चे को मारकर आत्महत्या कहा गया

जुनैद की मांका किया जो हर खुशी के मौके पर इंतजार किए रहती थी कि उसका बेटा उस के लिए कोइ उपहार लेकर आएगा, लेकिन इस बार नए साल पर उपहार तो दूर उनके साथ कोइ बात करने वाला भी नहीं
उन बच्चों का किया जे हर साल कि तरफ इस साल भी नव वर्ष पर अपने बाप के साथ पिकनिक मनाते हैं, लेकिन उन बच्चों के मन कि बात कौन सुनेगा जिनके पिता को लव जिहाद के नाम पर मार दिया गया हो ,
उन विद्यार्थियों का किया जिन्होंने धर्मनिरपेक्षता क बचाव के लिए कैद व बनद कि तकलीफ़ें झेली।
अब हमें एक नए साल पर एक नइ उमंग और नये उत्साह के साथ ,
, हमें अपने आप पर इन तमाम मुद्दों को उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए और इन्साफ दिलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश के लिए तैयार रहना चाहिएैं।

लेखक: मुहम्मद अबशारुददीन
छात्र चिन्तक सभा

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity