मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली: देश की सियासत में खलबली मचाने वाले बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और शेख के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में मौतों के मामले में आखिरकार एक-एक करके सारे आरोपी बरी हो गए। गौर करने वाली बात है कि इसके संकेत बहुत पहले मिलने शुरू हो गए थे।
बीते पांच दिसंबर को ही मामले की अंतिम बहस के दौरान सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक बी. पी. राजू ने स्वीकार किया था कि मामले में कई लूप होल्स हैं। सीबीआई ने चार्जशीट जल्दबाजी में दाखिल की। दूसरी बात यह कि कथित शेख फर्जी एनकाउंटर के पांच साल बीत जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया था। जांच के लिहाज से यह देरी को ठीक नहीं थी।
यही नहीं सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने केस ट्रांसफर करने की मांग करते वक्त दलील दी थी कि गवाहों पर दबाव न डाला जा सके इसलिए इस सुनवाई गुजरात से बाहर होनी चाहिए। मामले में माना जा रहा है कि सीबीआई का शक भी वाजिब था।
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह रही कि गवाहों के बयान 12 साल में दर्ज किए गए। नतीजतन, 210 गवाहों में से 92 पलट गए। गौरतलब यह भी कि ट्रायल शुरू होने से पहले ही सभी बड़े नाम बरी हो गए थे। शेष बचे थे गुजरात और राजस्थान पुलिस के छोटे कर्मचारी जिन्हें आखिरकार अदालत ने शुक्रवार को बरी कर दिया।
अमर उजाला के इनपुट के साथ