अब जबरदस्ती अगर मांगा आधार कार्ड तो,एक करोड़ जुर्माना और 10 साल तक की होगी सजा

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:अब आपको सिम कार्ड लेने या बैंक खाता खुलवाने के लिए आधार कार्ड नहीं देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आधार कार्ड की गोपनीयता को देखते हुए इसके बैंक व टेलिकॉम कंपनियों द्वारा इसका उपयोग करने पर रोक लगा दी थी। अब केंद्र सरकार ने इसे कानून का रूप देने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट और भारतीय टेलिग्राफ ऐक्ट में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी है।

संशोधन के तहत पहचान और पते के प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड के लिए दबाव बनाने पर बैंक और टेलिकॉम कंपनियों को एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। साथ ही आधार कार्ड मांगने वाले कर्मचारी अथवा जिम्मेदार व्यक्ति को तीन से 10 साल तक की कैद की सजा भी हो सकती है। आधार कार्ड की जगह अब पासपोर्ट, राशन कार्ड या कोई अन्य मान्य दस्तावेज लिए जा सकेंगे। अब ये पूरी तरह से उपभोक्ता पर निर्भर होगा कि वह सिम कार्ड या बैंक खाते के लिए आधार कार्ड देना चाहता है या नहीं।

केंद्र सरकार ने आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट और भारतीय टेलिग्राफ ऐक्ट में संशोधन को सोमवार को मंजूरी प्रदान कर दी थी। संशोधन के तहत ही इसमें जुर्माने और सजा का प्रावधान शामिल किया गया है। केंद्र सरकार के इस संशोधन को हाल में आधार कार्ड की अनिवार्यता से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुपालन के तौर पर देखा जा रहा है। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि यूनिक आइडी (आधार कार्ड) को सिर्फ सरकारी जनहित योजनाओं के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

डेटा मिसयूज पर भी जुर्माने व सजा का प्रावधान
संशोधन में आधार का सत्यापन करने वाली संस्था की भी जिम्मेदारी तय की गई है। इसके मुताबिक अगर आधार का सत्यापन करने वाली कोई संस्था डेटा लीक के लिए जिम्मेदार पायी जाती है तो उस पर भी 50 लाख रुपये तक का जुर्माना और 10 साल तक की सजा हो सकती है। संशोधन में कहा गया है कि केवल राष्ट्रहित में ही इन गोपनीय जानकारियों व डेटा का प्रयोग किया जा सकता है। इन संशोधनों को अभी संसद से मंजूरी मिलना बाकी है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity