तेलंगाना:के चंद्रशेखर राव दुसरी बार बने मुख्यमंत्री राज्यपाल नरसिम्हन ने दिलाई शपथ

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली: तेलंगाना चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बाद टीआरएस नेता चंद्रशेखर राव ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ
राज्‍यपाल नरसिम्हन ने केसीआर को पद और गोपनीयता की दिलाई शपथ, बतौर सीएम यह दूसरा कार्यकाल
अब टीआरएस के नवनिर्वाचित विधायकों की तेलंगाना भवन में बैठक, केसीआर को चुनेंगे अपना नेता

तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बाद टीआरएस के नेता के चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को शपथ ग्रहण कर लिया। राज्‍यपाल ई.एस.एल नरसिम्हन ने उन्‍हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। केसीआर का यह लगातार दूसरा कार्यकाल है। इससे पहले ऐसी अटकलें आई थीं कि केसीआर इस बार अपने बेटे केटी रामाराव को सीएम पद सौंप सकते हैं लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया।

शपथ ग्रहण के बाद अब टीआरएस के नवनिर्वाचित विधायकों की तेलंगाना भवन में बैठक होगी, जहां वे केसीआर को अपना नेता चुनेंगे। बता दें कि तेलंगाना में 7 दिसंबर को हुए चुनाव में 119 सदस्यीय विधानसभा में टीआरएस को 88 सीटें हासिल हुई हैं। तेलंगाना में टीआरएस ने समय से पहले विधानसभा भंग करने का दांव आजमाया था जो सही साबित हुआ। इस तरह वह चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को बुरी तरह परास्त करने में कामयाब रहे।

इस बार यहां कांग्रेस ने टीडीपी के साथ गठबंधन करके टीआरएस को चुनौती देने की कोशिश की लेकिन परिणामों में कांग्रेस काफी पीछे नजर आई। गौरतलब है कि कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ता के रूप में लगभग गुमनामी में राजनीतिक सफर की शुरुआत से तेलंगाना गौरव का चेहरा बनने तक के. चंद्रशेखर राव ने राजनीति की तेज लहरों पर बड़े सधे अंदाज में अपनी चुनावी नैया पार की है।

उन्होंने कांग्रेस को झुकने पर मजबूर करके अलग तेलंगाना राज्य के गठन में सफलता भी हासिल की। अलग तेलंगाना राज्य के दशकों पुराने एकमात्र स्वप्न को साकार करने के लिए बनी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की मंगलवार को घोषित परिणामों में जबरदस्त जीत के बाद केसीआर के नाम से लोकप्रिय के चंद्रशेखर राव (64) ने देश के सबसे नए राज्य का सबसे ऊंचे कद वाला नेता होने का अपना दावा बरकरार रखा है।
राव के बेटे केटी रामाराव उनकी सरकार में मंत्री रहे। वहीं बेटी के. कविता निजामाबाद से लोकसभा सदस्य हैं। राव के भतीजे हरीश राव भी पिछली सरकार में मंत्री थे। गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस मोर्चे के हिमायती रहे केसीआर की यह सफलता क्षेत्रीय दल के रूप में उनकी ताकत को और मजबूती प्रदान करेगी।

युवा कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक करियर की शुरूआत करने वाले राव ने 1983 में तेलुगू देशम पार्टी का दामन थामा। वह पहले ही चुनाव में सिद्दीपेट सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए। केसीआर 1985 में इस सीट पर चुनाव जीत गए और उसके बाद से उनका सफर सफलता के पथ पर आगे बढ़ता रहा। 1987 से 1988 तक केसीआर आंध्र प्रदेश में राज्यमंत्री रहे, इसके अलावा 1997-99 के बीच वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे।
इसके बाद केसीआर 1999 से 2001 तक आंध्र प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे। हालांकि इसके बाद उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य की मांग के साथ टीडीपी से किनारा कर लिया और अपनी पार्टी टीआरएस का गठन कर लिया। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और पांच सीटों पर जीत हासिल की।

राव ने 2009 के लोकसभा चुनाव टीडीपी के साथ मिलकर लड़े। विभिन्न राजनीतिक घटनाक्रम से गुजरते हुए राव ने अलग तेलंगाना राज्य के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नौ दिसंबर, 2009 को घोषणा की कि तेलंगाना के गठन के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद राव ने 11 दिन तक चले अपने अनशन को समाप्त कर दिया। लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार वह अलग तेलंगाना राज्य बनवाने में सफल रहे और राज्य के पहले मुख्यमंत्रि बने

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity