वक्फ बोर्ड मेंबर कलीम आज़ाद के प्रयासो से पिंड रंधावा मसनदा में 74 साल बाद पढ़ी गई पहली नमाज

जालन्धर 2 अक्टूबर (मेराज़ आलम ब्यूरो रिपोर्ट): 74 वर्ष पहले 5 अगस्त 1946 में बनी मस्जिद के निशान आज भी है बाकि। आज भी खुदा के निशान है बाकि। इसका इजहार पंजाब वक्फ बोर्ड सदस्य मो. कलीम आज़ाद ने किया उन्होंने कहा कि खुदा के घर में देर है अंदेर नहीं। जब कुदरत चाहती है अपने घर को खुद आबाद कर लेती है। इंसान तो बस एक जरिया है। जो अल्लाह की रजा के लिए विरान पड़ी मस्जिदों को आबाद करवाते है इससे सवाब-ए-जारिया की खिदमत करने का मौका प्राप्त होता है। हम सब इस कुदरत के घरो की हिफाज़त करते है यह हमारे लिए गर्व की बात है।

कलीम आजाद ने कहा कि आज 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी के जन्म दिवस के मौके पर मस्जिद-ए-उमर को आबाद करवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आज जुम्मे की नमाज मस्जिद-ए-उमर में मौलाना मो. साजिद ने अदा करवाई और देश में अमन शांति के लिए दुआ भी करवाई गई।

इस मोके पर मस्जिद के प्रधान शामदीन को नियुक्त किया गया और 21 मेंबरी कमेटी का भी गठन किया। इस मोके पर मस्जिद के चलते काम को देखते हुए 50 हज़ार रूपए भी मो. कलीम आज़ाद मेंबर पंजाब वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के प्रधान को दिए।

इस मोके पर मोहम्मद कलीम आज़ाद मेंबर पंजाब वक्फ बोर्ड, प्रधान शामदीन, मौलाना मो. साजिद, फारूक आलम, शाम मोहम्मद, लियाकत अली, समीर खान, गुलाम रसूल, नसीब अली, रोशन दीन, मो. अली, हाजी रोशन, जलालदीन, शेर मोहम्मद, बाबूदीन, सुरमु दीन, मो. रफ़ी, मो. रफ़ीक, मेराज व अन्य मौजूद थे।

SHARE