हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौ. आफताब अहमद ने भारत रत्न स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के 75 वें जन्मदिन सदभावना दिवस पर खिराजे अकीदत पेश करते हुए उन्हें लेख समर्पित किया है:
देश के छठे प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की 75 वीं सालगिरह पर देश उन्हें याद कर रहा है, और याद कर रहा है उनके उस दौर को भी जिसमें लोकतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता, विकास सब का बोलबाला था। आज के दौर में भले ही लोकतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता, विकास मौजूदा सरकार के लिए कोई खास अहमियत नहीं रखते हैं। लेकिन किसी भी मुल्क की तरक्की में इन सभी का होना बड़ा जरूरी है।
स्वर्गीय राजीव गांधी सभी के आदर्श व्यक्ति हैं, वो आधुनिक भारत के निर्माता थे जिन्होंने कम्प्यूट्रीकृत युग का सपना देखा फिर उसे पूरा करने के लिए अपना जीवन न्याछौवर कर दिया। आज उन्ही के मेहनत और लगन से हम एक क्लिक पर ही सारे काम आसानी से कर सकते हैं । उनके योगदान को भारतवासी कभी भुला नहीं सकता। उनके द्वारा देश की उन्नति के कार्यो की जितना तारीफ की जाए वो कम है।आज ऐसे प्रधानमंत्री कहीं देखने को नहीं मिलते ये केवल दुर्भाग्य ही है।
स्वर्गीय राजीव गांधी में परिस्थितियों को परखने, समझने और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी। इस महान् नेता की निष्छलता एवं प्राकृतिक सेवा की प्रवृत्ति ने भारत को दुनिया की एक सृदृढ़ शक्ति के रूप में स्थापित किया। भारत रत्न राजीव एक संवेदनशील, कोमल दिल के महान् नेता थे, जो उनके दिल में होता था वही जबान पर होता था, आज तो नेता केवल जुमलेबजी तक ही सीमित रह गए हैं। आज के भारत की कल्पना सिर्फ भाषण की लफ्फाजी नहीं थी बल्कि इसके परिप्रेक्ष्य में नीहित एक कल्पनाशीलता एवं नियोजन था, इस नियोजन को कार्यक्रम में परिवर्तित करने के लिए राजीवजी ने अपने जीवन को समर्पित कर दिया।
देश में पंचायत राज की व्यवस्था, औद्योगिक क्रान्ति, हर हाथ को रोजगार, संचार युग की क्रान्ति, सूचना युग का भारत में प्रतिस्थापन हो, अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मजबूत स्थिति जैसे क्रांतिकारी कदम एवं उनका क्रियान्यवन भारत के लिए वरदान साबित हुए हैं ।
आज देश अगर दुनिया में एक मजबूत देश के रूप में जाना जाता है तो वो राजीव गाँधी की मेहनत का फल है।
इंदिराजी की हत्या के बाद राष्ट्र की पूरी जिम्मेदारी राजीव गांधी के युवा और मजबूत कंधों पर आ गई। जब सारा देश जल रहा था उस समय देश को एक धेर्येशील मार्ग एवं सांत्वना की आवश्यकता थी, अचानक ही देश को एक प्रखर, उज्जवल, महाव्यक्तित्व से साक्षात्कार हुआ वे थे देश के नये प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी। राजीव जी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘वह केवल मेरी मां ही नहीं हम सब की मां थी, हिंसा, घृणा व देश से इंदिरा जी की आत्मा को दुख पहुंचता था, आप शांत रहे और धैर्य से काम ले’’। उनके इन शब्दों का देश के नागरिकों पर जादुई असर हुआ, लोगों के आंसू थमने लगे। ये उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि देश में नफरत की आंधी रूक सी गई।
अमेरिका की पत्रिका ने राजीव जी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय व्यक्तित्व का खिताब देते हुए लिखा था कि ‘‘राजीव गांधी पूरब के सूरज है जिनसे पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति को एक सांस्कृतिक, वैचारिक प्रकाष प्राप्त होगा’’।उसी विदेशी अखबार ने उनके निधन पर लिखा था कि ‘‘पूरब का सूरज दोपहर से पहले ही अस्त हो गया’’।
राजीव गांधी के मन मे यह विचार बसा हुआ था कि भारत के निर्माण और ऊर्जा में बढ़ोत्तरी के लिये युवाओं को प्रोत्साहन और जिम्मेदारी सौंपना जरुरी है, इसलिए उन्होंने तमाम अन्र्तविरोधों की दरकिनार करते हुए युवाओं को 18 वर्ष में मताधिकार का अधिकार प्रदान किया। युवाओं के लिए अनंत संभावनाओं का भण्डार विकसित करने के लिए देश में आई.टी. संस्कृति को बढ़ावा दिया था । आज आधुनिक टेक्नोलॉजी से हम विश्व की विकास दर से कदम मिला रहे है।
उस वक़्त विपक्ष ने बैलगाड़ी से संसद पहुच कर राजीव जी के सपनो का उपहास उड़ाया था लेकिन उन्होंने परवाह न करते हुए आज देश को एक नए मुकाम पर पहुचाया है । आज बीजेपी सरकार के छह सालों के गलत फैसलों के कारण युवा बेरोजगार है, मंहगाई आसमान छू रही है, किसान मर रहे हैं, महिलाएं महफूज़ नहीं है, देश की जीडीपी लुड़क गई है।
इस समय देश को राजीव जी की याद आती है जो एक मौन कर्मषील व्यक्तित्व के धनी थे, जिनके भाषण में सच और भोलापन था, कुटिलता बिलकुल नहीं थी, जो फैसलें लेने में निडर और निर्णयों को क्रियान्वित करने में देर नहीं करते थे। यह भारत का दुर्भाग्य ही है जब भी इस देश में गैर कांग्रेसी सरकारें बनी है भारत की तरक्की और अन्तराष्ट्रीय छवि में धूमिलता ही आई है।
( इस लेख के लेखक कांग्रेस विधायक दल के उप नेता, नूह विधायक चौधरी आफताब अहमद हैं )