मोहम्मद फारूक सुलेमानी,
दलित और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को बेबाकी से रखने वाले और सविधान की दुहाई देने वाले एम आई एम के बड़े नेता असदुद्दीन ओवैसी का सियासी बवंडर उस समय और उबाल में आ गया जब दलित नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ओवैसी की एम आई एम से गठबंधन लगभग तय हो गया है ।
गत विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता की ओर अग्रसर हो रही थी उस समय मोहन भागवत के आरक्षण हटाने के बयान को लालू ने खूब भुनाया था जिसका नतीजा यह हुआ कि राजद सत्ता पर काबिज हो गई।
अब यहां दलित और मुस्लिम गठबंधन से आने वाली बिहार विधानसभा चुनाव में ओवेसी की एंट्री भी धमाकेदार होने वाली है । जितना राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(हम) बिहार की 50 से अधिक सीटों पर सीधा प्रभाव है । जबकि एक दर्जन सीटों पर काबिज होना लगभग तय माना जा रहा है इधर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बिहार के पूर्वांचल में एक दर्जन सीटों पर आसानी से जीत दर्ज होने का दावा कर रही है ।
अगर यहां के राजनीतिक समीकरण फिट बैठे तो कई राजनीतिक दलों की नींद उड़ा सकते हैं । ऐसे असदुद्दीन ओवैसी बिहार में फिलहाल वो दलित मुस्लिम और पिछड़ों पर उनकी गहरी नजर हैं , भाई अकबरुद्दीन ओवैसी को बिहार के विधानसभा चुनाव के प्रसार में अलग रखा जा सकता है क्योंकि अक्सर उनके भाई के बयान असदुद्दीन के लिए सिर दर्द भी बने हुए है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में जितेंद्र राम और असदुद्दीन की एक मंच पर संबोधित करना दलित मुस्लिम की नई राजनीतिक समीकरण को जन्म दे सकता है । राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता ऐसी में ओवेसी की पार्टी से कई राजनीतिक पार्टियां भी गठबंधन का ऐलान कर सकती है , इसलिए लालू के बेटे तेजस्वी अपने बयानों को फूंक फूंक कर दे रहे हैं । उनका एक बयान राजद के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में ओवैसी के लिए फायदेमंद हो सकता है । इसी ओवेसी के लिए बिहार में खोने के लिए कुछ भी नहीं है इसीलिए वह खुलकर बिहार में नीतीश कुमार को जमकर कोस रहे हैं । इधर बिहार के कई सामाजिक कार्यकर्ता वकील दलित नेता मुस्लिम धार्मिक गुरु खुलकर एम आई एम का दामन थाम रहे हैं । अगर ओवैसी की पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में रही तो कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता और वर्तमान में एम आई एम के बिहार में सबसे बड़े नेता अख्तरुल इमान पर दांव खेला जा सकता है । हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि दलित नेता जितेंद्र मांझी को गठबंधन का मुख्यमंत्री का उम्मीदवार का ऐलान कर सकती है । ऐसे में अन्य राजनीतिक दलों का अल्पसंख्यक और दलित वोट बैंक मैे सैध लगना तय मानी जा रही है , ऐसे में इन राजनीतिक पार्टियों के लिए ओवैसी की एंट्री चिन्ता का बढा रही है । यह तो वक्त ही बताएगा कि बिहार में किसकी बहार होगी लेकिन यह तो तय माना जा रहा है कि औवेसी की एन्ट्री फ्रन्टफुट पर ही रहेगी।
मोहम्मद फारुक सुलेमानी
(युवा लेखक )