भूखी प्यासी बच्ची के मरने का इंतजार करता एक गिद्ध और दूसरा वो शख़्स जिसने उस मौके को भुनाने की कोशिश की।
जी हां मैं बात कर रही हूं #केविन_कार्टर की, जिन्हें 1993 में #पुलित्ज़र_अवार्ड से नवाज़ा गया था।केविन कार्टर सूडान के एक मशहूर फोटोग्राफर थे।एक बार उन्होंने देखा कि एक गिद्ध एक भूख से बेहाल बच्ची के पास बैठा है, शायद उसके मरने का इंतजार कर रहा था।फोटोग्राफर की आंखों को वो मंज़र इतना भाया कि उन्होंने उसे अपने कैमरे में क़ैद कर लिया, जिसके लिए उन्हें सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड से नवाज़ा गया।
लगभग 4 महीने बाद उनके पास एक फोन आया जिसमें एक अज्ञात शख्स ने उनसे पूछा कि उस बच्ची का क्या हुआ ? उन्होंने जवाब दिया कि मुझे नहीं पता मैं फोटो खींचने के बाद वहां से चला गया था।अनजान शख्स ने कहा आपको पता है उस वक्त वहां एक नहीं दो गिद्ध थे।एक जो उसके मरने का इंतजार कर रहा था और दूसरा जिसने उस बच्ची की भूख को अपने फायदे के लिए भुनाया।
इस बात का कार्टर पर बहुत गहरा असर हुआ और उन्होंने 33 साल की उम्र में ही आत्महत्या कर ली।
यह कहानी नहीं बल्कि असल जिंदगी थी केविन कार्टर की।उनसे जो एक गलती हुई थी उसके एहसास ने उनकी जान ले ली।
शायद उनका ज़मीर मरा नहीं था।
क्या आज यही हाल सत्ता में बैठे हुए लोगों का नहीं है? क्या आज सत्ता में बैठे हुए लोग उस गिद्ध की तरह नहीं है, जो बैठकर ग़रीब मज़दूरों के मरने का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि अपनी गंदी राजनीति के लिए उनको इस्तेमाल कर सकें।
क्या आज राजनीतिक दल इन अवसरों को भुनाने की कोशिश नहीं करते ? आज भारत पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं लेकिन राजनेता सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं।आज हमारे देश पर एक नहीं बल्कि सैकड़ों गिद्धों का साया है। जो आपके ऊपर निगाहें गड़ा कर बैठे हैं कि कब आप मरें और कब वो आपकी बूटियां नोच खाये ।
ज़रा सोचिए कि आप ने किन लोगों को गद्दी पर बैठा रखा है। अगर इस परिस्थिति में भी वो आपके साथ नहीं हैं तो फिर कब होंगे? काश इन राजनेताओं और सत्ताधारियों का ज़मीर भी जाग जाए।आज देश को इनकी ज़रूरत है, राजनीति करने के लिए पूरी ज़िंदगी पड़ी है।
कम से कम आज लोगों की लाशों पर राजनीति करना बंद करें नहीं तो खुद से कभी निगाहें नहीं मिला पाएंगे।
(ये उनके अपने विचार हैं )