इस लोक डाउन में कैसे पढे़ं ईद की नमाज़

ख़ुर्रम मलिक

कोरोना वायरस की वजह से आज पुरा विश्व एक अजीब सी परिस्थिति से गुज़र रहा है. और इस का असर हर ओर देखा जा सकता है. इस महामारी की वजह से जहाँ स्कूल कॉलेज, बाज़ार बंद हैं वहीं दूसरी ओर मस्जिद मंदिर गिर्जा गुरुद्वारा बंद पड़े हैं. और ऐसे में मुसलमानों का पवित्र महीना रमज़ान भी आया जिस में मुसलमानों ने पुरी तरह सरकार और प्रशासन का सहयोग करते हुए अपने अपने घरों में ही नमाज़ ए तरावीह पढी़ ,और फिर देखते ही देखते यह पवित्र महीना भी गुज़रने को है. और उम्मीद की जा रही है के 25 मई सोमवार को मुसलमानों का पवित्र त्यौहार ईद उल फ़ितर मनाया जाएगा. जैसा के हम सब जानते हैं कि यह पवित्र त्यौहार रमज़ान में किये गए इबादतों का बदला है जिसे अल्लाह ने खुश हो कर मुसलमानों को दिया है.

और जिस की नमाज़ ईद गाह में होती है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से ईद की नमाज़ घरों में ही पढ़नी है. हम यहाँ आप को यह बताना चाहते हैं कि कैसे ईद की नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा है. सब से पहले तो हमें किसी भी नमाज़ की नियत करनी होती है. वैसे नियत दिल से होनी चाहिए. अगर ज़ुबान से बोल दिया तो और भी अच्छा है.

नियत इस तरह करना है.

नियत करता हूँ मैं नमाज़ ईद उल फ़ितर की वाजिब. छे ज़ाएद तकबीरों के साथ, वास्ते अल्लाह त’आला के. रुख़ मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़.
नियत के बाद तक्बीर ए तहरीमा (हाथों को कंधे तक उठाना है और फिर पेट पर बांध लेना) के बाद सना पढ़ना है उस के बाद दो और तक्बीर कही जाएगी. पहली तक्बीर के बाद हाथों को कंधे तक ले कर जा कर छोड़ देना है, फिर दूसरी बार भी ऐसा ही करना है. तीसरी तक्बीर के बाद हाथों को बांध लेना है और सुरह फ़ातिहा और उस के बाद कोई भी सुरह पढ़ना है. उस के बाद रुकु में जाना है फिर सज्दे में और इस तरह एक रकत पूरी करनी है.

दूसरी रकत के लिये खड़े होंगे तो सब से पहले सुरह फ़ातिहा और फिर कोई सुरह मिलाएंगे और उस के बाद रुकु में जाने से पहले पहले तीन ज़ाएद तक्बीरें (अल्लाह हु अकबर) कहते हुए हाथ छोड़ देंगे और और चौथी तक्बीर कह कर रुकु में जाएंगे और सजदा के साथ सलाम फेर कर नमाज़ मुकम्मल करेंगे. नमाज़ के बाद जो सब से अहम है वह है ईद का खु़त्बा. नमाज़ के बाद जो सब से अहम है वह है ईद का खु़त्बा। यह दो है.
ईद उल फ़ितर का खु़त्बा यह है.

खु़त्बा सुनना वाजिब है.

पहला खु़त्बा –
अल्लाह हु अकबर ,अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर,

अल्हम्दु लिल्लाही रब्बिल आ लमीन वस सलातु अला सय्येदेना मुहम्मदिन खा़तिमिन नबीय्यीन. व’अला आ’लिही व’अस’हाबिही अज्म’ईन,अम्मा बा’द, फ़क़द क़ालल्लाहु त’आला ,क़द अफ़्लहा मन त’ज़क्का, व’ज़करस्मा रब्बिही फ़सल्ला, बल तु’सिरुनल हयातअद दुनिया, वल’आखि़रतु खै़रु व’अब्क़ा, इनना हाज़ा लफ़िस सुहुफ़िल ऊला, सुहुफ़ी इब्राहीमा वमुसा, वक़ाला रसुलुल्लाह सo अo वo इनना लिकुल्ली क़ौमिन ईदन वहाज़ा ईदुना, बा’रकल्लाहु लना वलकुम फ़िल्क़ुराआन इल अज़ीम, वनफ़ाना व’इय्याकुम बिहदी सय्येदिल मुरसलीन

दूसरा खु़त्बा-
अल्लाह हु अकबर ,अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर,
अल्हम्दु लिल्लाही नहमदुहू व’नस्तईनुहु व’नस्तग्फ़िरुहु ,वनु मिनु बिही, व’नतवक्कलु अलैही ,व’न’ऊज़ु बिल्लाही मिन शुरुरी अन्फ़ुसिना व’मिन सैय्येआती आमालिना ,वनश्हदु अल्लाह ही लाहा इल’ल्लाहु ,व’नश’हदु अन्ना मुहम्मदन रसुलुल्लाह, व’अला आलिही व’सहबिही ,व’बारका व’सल्लम, अम्मा बाद, क़ाला रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम, ज़कातुल फ़ितरी तुहरत उन लिस’साइमी मिनल लग़वी वर’रफ़सी व’तोमत उन लिल मसाकीनी औ कमा क़ाला अलैहिस सलामो, व’क़ाला त’आ’ला ,इननललाहा या’मुरु बिल अदली वल इहसानी व’ईता’ई ज़िल क़ुरबा व’यन्हा अन’इल फ़हशाई वल’मुन्करि वल’बग्यि़ , य’ईज़ुकुम ल’अल्लकुम तज़्कुरून, वलज़िक्रुल्लाही अकबर.

यह है दोनों खु़त्बा जिसे लोक डाउन की वजह कर छोटा किया गया है. जिस से के कोई भी अरबी ज़ुबान का जानकार इसे पढ़ सकता है.

इस लिए आप सभी मुसलमान भाई से यह गुज़ारिश है के ईद उल फ़ितर की नमाज़ घरों में पढे़ं ,अगर किसी को नमाज़ पढ़ना नहीं आये तो वह चाश्त की नमाज़ पढ़ ले.

ख़ुर्रम मलिक इस्लामिक स्कॉलर और स्वतंत्र पत्रकार है। ये लेखक के निजी और व्यक्तिगत विचार हैं

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