आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाया;3 वित्तीय संस्थानों को 50 हजार करोड़ की मदद

मुंबई. देशभर में चल रहे लॉकडाउन के इकोनॉमी पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को 1 लाख करोड़ रुपए के बूस्टर पैकेज का ऐलान किया। यह मदद नाबार्ड जैसे वित्तीय संस्थानों और बाकी बैंकों को दी जाएगी। वहीं, रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी है ताकि लोगों को कर्ज मिलने में आसानी हो। यह आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की 22 दिन में दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। इससे पहले 27 मार्च को उन्होंने कर्ज सस्ते करने के लिए रेपो रेट 0.75% घटाया था। लोन की किश्त चुकाने में तीन महीने की छूट दी थी। शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में गवर्नर ने कहा- दुनिया में बड़ी मंदी का अनुमान है, हम सबसे बुरे दौर में हैं। फिर भी बैंकिंग सेक्टर मजबूती से खड़ा है। लोगों तक कैश पहुंचाने वाले 91% एटीएम काम कर रहे हैं।

सबसे पहले जानिए, आम लोगों और इंडस्ट्री पर इन घोषणाओं का क्या असर होगा?
क्या अब आसानी से कर्ज मिलेगा?
इसकी उम्मीदें बढ़ गई हैं। वजह- आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 4% से घटाकर 3.75% कर दिया है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों को आरबीआई में जमा अपनी रकम पर ब्याज मिलता है। जब आरबीआई इस रेट को घटा देता है तो बैंक अपना पैसा आरबीआई के पास रखने की बजाय कर्ज देना पसंद करते हैं। इससे बाजार में नकदी बढ़ती है।

क्या कर्ज आसानी से मिलने के साथ सस्ता भी मिलेगा?
यह कहना मुश्किल है, क्योंकि आरबीआई ने रेपो रेट नहीं घटाया है। रेपो रेट, वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। इसमें कमी होने से लोन सस्ते होते हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई 27 मार्च को ही रेपो रेट 0.75% घटा चुका है।

एक लाख करोड़ का बूस्टर पैकेज क्या है?

50 हजार करोड़ रुपए टारगेटेड लॉन्गर टर्म रिफाइनेंसिंग ऑपरेशंंस यानी TLTRO के लिए दिए गए हैं। इसमें से 25 हजार करोड़ रुपए की मदद आज से ही शुरू हो जाएगी। इससे नकदी संकट कम होगा। TLTRO के जरिए बैंकों को आरबीआई से 1 से 3 साल के लिए रेपो रेट पर कर्ज मिल जाता है। इससे बैंकों को कर्ज बांटने में आसानी होती है।
25 हजार करोड़ रुपए की मदद नाबार्ड को दी जानी है। नाबार्ड यानी नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट। यह एग्रीकल्चर और रूरल सेक्टर में कर्ज की उपलब्धता के लिए काम करता है।
15 हजार करोड़ रुपए की मदद सिडबी को मिलनी है। सिडबी यानी स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक। यह सूक्ष्म, छोटे और मंझले उद्योगों के लिए काम करता है।
10 हजार करोड़ रुपए की मदद एनएचबी को मिलेगी। एनएचबी यानी नेशनल हाउसिंग बैंक। यह हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज देती है।
क्या एनपीए के नियमों में भी ढील मिली है?
बिल्कुल। आरबीआई ने 27 मार्च को लोन की किश्तें चुकाने में तीन महीने की छूट दी थी। आरबीआई की शुक्रवार की घोषणा के मुताबिक, एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट्स घोषित करने की प्रक्रिया में 1 मार्च से 31 मई के तीन महीनों को शामिल नहीं किया जाएगा। नियम कहते हैं कि लोन के रीपेमेंट में 90 दिन की देरी होने के बाद बैंक उस खाते को एनपीए घोषित कर देते हैं। शुक्रवार की घोषणा के ये मायने हैं कि एनपीए के 90 दिनों की गिनती 1 मार्च से शुरू न होकर किश्तें चुकाने के लिए मिली 31 मई तक की छूट के बाद शुरू होगी।

आरबीआई गवर्नर की नजर में अर्थव्यवस्था कहां खड़ी है?
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा- हम बुरे दौर से गुजर रहे हैं। कोरोना संकट की वजह से जीडीपी की रफ्तार घटेगी, लेकिन बाद में ये फिर तेज रफ्तार से दौड़ेगी। कई ऐसी रिपोर्ट आई हैं, जिनमें कहा गया है कि कोरोना की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी आर्थिक मंदी के दौर में जा सकती है। इसके बाद भी भारत की जीडीपी विकास दर बेहतर रहने की उम्मीद जताई गई है। आईएमएफ ने भले ही भारत के लिए 1.9% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया है, लेकिन यह अनुमान जी-20 समूह के बाकी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity