शाह अज़मतुल्लाह अबुसईद
इस समय में बहुत दुखी हूं। एक कोरोना के बढ़ते महामारी से तो दूसरी तरफ हमारे मुल्क की मीडिया नफ़रत वाली हरकत से। आज पूरे विश्व में इस कोरोना से निपटने के लिए लोग अपनी शक्ति लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ हमारे देश की मीडिया शक्ति एक बार फिर आग में पेट्रोल डालने का कार्य कर ने मैं लगी है।
यही कारण है कि बीते हुए कल देश के अधिकतर चैनलों में यह दिखाने की कोशिश हो रही थी कि कोरोना का बढ़ना मुसलमानों के कारण है।
कियोंकि तब्लीगी जमात में देश विदेश के हजारों की संख्या में लोगों का जमा हो कर कोरोना को हौसला दिया है।
यह स्पष्ट कर दूं कि अगर किसी को सीखना हो कि मुद्दा को कैसे डायवर्ड किया जाता है और लोगों के दिमाग़ को कैसे भटकाया जाता है तो वह देश के न्यूज चैनलों और मेन इस्ट्रीम मीडिया से सीखे।
मित्रो बात यह कि तब्लीगी जमात का इंटरनेशनल हेडक्वार्टर हजरत निजामुद्दीन औलिया साहब की दरगाह से लगा हुआ है। वहां 10 हजार लोग सामान्य दिनों में प्रतिदिन आते जाते हैं ।इस मरकज से 40 मीटर दूर हजरत निजामुद्दीन पुलिस थाना है बल्कि ये कहना उचित होगा कि थाने का गेट और मरकज का गेट एक ही है। वहां पर पूरी दुनिया से लोग आते हैं और ज्यादा से ज्यादा कुछ घण्टे रुकने के बाद मरकज द्वारा निर्धारित जगह पर जमात के लिए निकल जाते हैं। जमात में निकले हुए लोग अधिकतम 40 दिन का ऐहराम(चिल्ला) करते हैं।इस बीच उनका घर वालों से कोई संपर्क नही होता और न ही बीच में वापसी होती है।मरकज द्वारा जो जगह निर्धारित की जाती है उस जगह पर अपने संसाधन से व्यक्ति या टोली जाती है वहां की मस्जिद में रहती है और गांव वाले जो दे उससे काम चलाते हैं और न मिले तो बाजार से खरीद कर खाते हैं।जो व्यक्ति विदेश से आए हैं उसका वापसी का टिकट पहले से फिक्स था लेकिन लॉकडाउन में न वह घर वापस जा सकते थे और न ही वह वहां से निकल सकते थे ऐसी स्थिति में मरकज में ही रुकना उनके लिए अनिवार्य हो गया। जो वर्तमान में टीवी चैनल का मुद्दा बन गया।
यह भी जान लें कि मरकज में जो थाली सुबह एक बार लगती है तो वो वह लंगर समाप्त होने तक बिछी रहती है खाने वाले लोग बदलते रहते हैं। जगह की कमी के कारण इस 5 मंजिला इमारत में भीड़ जयादा होती है तो ज़ाहिर है कि कोरोना से यह ज़्यादा प्रभावित भी हुए होंगे इसी लिए कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए जब कि 3 की मौत की पुष्टि भी हो चुकी है। अब इस कारण इस महामारी को किसी विचारधारा पर प्रश्नचिन्ह लगाना उचित नही है। यह जमात लग भग 100 साल पहले बनी और वर्तानकालीन में कई इस्लामी मुल्कों के होते हुए भी अंतरराष्ट्रीय केंद्र हिंदुस्तान में ही स्थापित है।
मुझे जहां जमाती संगठन के अमीर की गैर जिम्मेवारी और लापरवाही पर प्रश्न है कि वह इस मामले में इतने धीरज क्यों दिखाए वहीं केजरीवाल सरकार अधिक ज़िम्मेदार है जो दिल्ली फसाद के समय चुप्पी साधे हुए थे और बोले भी तो यह कि दिल्ली पुलिस मेरे हाथ में नहीं है में मजबूर वा लाचार हूं क्या करूं?
वह वर्तमान में जमात के लोगों के पर्ती FIR दर्ज करवाने की बात करके एक बार फिर सियासी गेम खेलना चाह रहे हैं। जबकि इस सिलसिले में मरकज वालों का यह भी कहना है कि हमने सारी परमिशन पहले से ही ले रखा था।अंतिम में हम आप और केजरीवाल के सिलसिले में यही कहना चाहेंगे कि
हम तो तेरे वायदे पर मुत्मइन थे
लेकिन तेरी नीयत भी बदलती जा रही है
मित्रों यह विवाद का विषय नहीं होना चाहिए बल्कि गंभीरता से सोचने का समय है। क्योंकि कोरोना वाइरस यह नहीं देखता कि सामने वाला वेक्ती मुसलमान है या हिन्दू है। यह आपको और हमको सोचना है कि हम कहां जा रहे हैं और क्या नकार रहे हैं।
एक बात और आपको बता चाहता हुँ के ये ऐसा संगठन है के कभी न कोई फंड/योगदान किसी से लेती है ना कभी किसी पार्टी का समर्थन या विरोध करती है और ना कभी मीडिया मैं प्रेस जारी करती है
अब बात करते हैं केंद सरकार की विदेशों से आने वाले सभी लोगों का सरकार को डेटा रहता है कौन वयक्ति देश कब आया और क्यों आया और कहाँ रुकेगा और और कब तक वापस जाएगा फिर लॉकडाउन करने से पहले ऐसे लोगों को सूचना क्यों नही दी गई आप सभी लोग वापस जाएं या उनके रहने की व्यवस्था क्यों नही गई।
हम सभी नागरिकों को अभी क्रोना से जंग लड़नी है मीडिया की नफ़रत से बचना है।
सरकार, प्रसाशन एवं पड़ोसियों का साथ दें।