मोदी सरकार की झूठ के खिलाफ माले ने जन एकता सम्मेलन आयोजित किया
प्रेस रिलीज़,कूढनी: 10 फरवरी 2020 .
आज कुढनी बलाॅक के माधोपुर हाॅट मैदान में भाकपा माले नेCAA,NPR, NRC के खिलाफ जन एकता अभियान के तहत 25 फरवरी के विधानसभा मार्च को सफल बनाने के लिए जन एकता सम्मेलन आयोजित कीया गई ।
इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले राज्य कमिटी के सदस्य सतरूधन सहनी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भारतीय संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है तथा यह विभाजनकारी भी है ।यही कारण है कि आज देश के नागरिक सडको पर उतर कर इसका विरोध कर रहे है।माले नेता परशु राम पाठक ने कहा कि आज देश मे अघोषित आपातकाल चल रहा है ।मोदीजी आर एस एस के ऐजेन्डा को देश पर थोपने की कोशिश कर रहे है। इंसाफ मंच के उपाध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि एनआरसी एनपीआर और सीएए के खिलाफ 25 फरवरी को लाखों की संख्या में बिहार के गरीब मजदूर भाग लें गें आफताब ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में जनता सरकार को चुनती है लेकिन सीएए, एनपीआर और एनआरसी का संघी प्रोजेक्ट सरकार को नागरिक चुनने की आज़ादी दे देगी। यह लोकतांत्रिक देश मे सम्भव नही है, यह पूरी तरह तानाशाही प्रोजेक्ट है।इंसाफ मंच के राज्य प्रवक्ता असलम रहमानी ने कहा कि मोदी-अमितशाह झूठ बोल रहे हैं कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर अलग अलग चीजें हैं। यह सबसे बड़ी झूठ है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सिएए ,एनपीआर और एनआरसी जरिये यह सरकार यह अधिकार हासिल कर लेना चाहती है ताकि वह मनमाफिक वोटर और नागरिक बना सके। जो उनके खांचे में में नही फिट होगा उसे संदिग्ध नागरिकता की सूची में डाल दी जाएगी। निर्दयी और भरष्ट नौकरशाही को जनता की नागरिकता से खेलने का अधिकार मिल जाएगा। इस प्रक्रिया में सब प्रभावित होंगे खासकर दलित,गरीब और वंचित जमात के लोग। जिस तरह से उन्हें बीपीएल सूची,राशन सूची से बाहर रखा जाता है, उसी तरह उन्हें नागरिकता से भी बाहर रखा जाएगा। और फिर उनसे गुलामों की तरह काम लिया जाएगा और नागरिक अधिकारों से वंचित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तत्काल एनपीआर रुकनी चाहिए क्योंकि यही एनआरसी का प्राथमिक आधार डेटा बनेगा।
आगे उन्होंने कहा कि बर्बर दमन,गिरफ्तारी और मुकदमे के जरिये सरकार लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाना चाहती है जो सफल नही होगा।जुल्म जितना बढ़ेगा,प्रतिरोध उतना ही प्रबल होगा।
कहा कि नीतीश जी संविधान व धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों की रक्षा का दावा करते हैं, लेकिन उनका यह दावा पूरी तरह तार-तार हो चुका है. सीएए-एनआरसी-एनपीआर एक ही पैकेज प्रोग्राम है. यह नहीं चल सकता कि आप एनआरसी के खिलाफ हों और सीएए का समर्थन कर रहे हों. एनपीआर पर उन्होंने चुपी साध रखी है. बिहार की जनता उनसे जवाब चाहती है कि आखिर उन्होंने संसद में सीएए का समर्थन क्यों किया? बिहार विधानसभा से पहलकदमी लेते हुए नीतीश जी सीएए-एनआरसी-एनपीआर को लागू न करने का प्रस्ताव पारित करवाने के बजाये इसके खिलाफ हो रहे आनोदलों पर केंद्र और उत्तर- प्रदेश के सरकार के तरह बर्बर पुलिसिया हमला कर रहें हैं। इस करवाई से उनका चेहरा उजागर हुआ है।
सभा की अध्यक्षता बरकात ने की और संचालन नूर आलम ने किया वहीं भाकपा माले जिला कमिटी सदस्य होरील राय,असलम रहमानी, फहद जमां, अनील पासवान,मोहम्मद सोहैल,अब्दुल वारीस,मास्टर शाह आलम, खुर्शीद, शफिया यूसुफ ने भी संबोधित किया