आंसू गैस:जामिया में दम घुटने कि वजह से मर जाते सैंकड़ो बच्चे

By, Md Umar Ashraf
5 बजे जामिआ मिल्लिआ इस्लामिआ के अंदर का माहौल बिलकुल नार्मल था, किसी भी बाहरी आदमी को अंदर आने कि इजाज़त नही थी, स्टूडेंट भी आईकार्ड दिखा कर ही अंदर आ सकते थे, अंदर में मौजूद बच्चे छोटे छोटे झुंड में बैठे थे, नारा तक नही लग रहा था, कुछ बच्चे और बच्चियाँ उस तिरंगे के साथ तस्वीर ज़रूर खैंचवा रहे(रही) थे, जिससे उन्हे महरूम करने कि साज़िश चल रही है, कैंपस के बाहर ज़रूर हंगामा था, पर अंदर बिलकुल नॉर्मल था, मै भी ग़ालिब लॉन से टहलता हुआ ओल्ड रीडिंग रूम पहुंच कर अपना मोबाइल चार्ज करने लगा, अंदर काफ़ी बच्चे पढ़ रहे थे, 4-5 हमारे क़रीबी लोग भी थे.

वही कोई 5-10 मिनट गुज़रा होगा के 5-6 बच्चे दौड़ते हुवे रूम में घुसते हैं और दरवाज़े बंद करने कि कोशिश करते हैं, सामने बैठे हमारे साथी मना करते हैं, जैसे ही दरवाज़ा वापस खुलता है एक गॉर्ड अंदर आते हैं, और हमें जल्दी से रूम ख़ाली करने को कहते हैं, क्यूंकि उनके हिसाब से कैंपस में हमला हो चुका था, उनकी बात सुनकर हम जैसे ही बाहर आते हैं, तो कोई 10 मीटर कि दूरी पर आँसूगैस के गोले दिखते हैं, पुरा कैंपस धुँवा धुँवा हो रहा था, आँख जल रहे थे, बच्चे परेशान थे, बाहर खड़े बच्चे बड़ी ही तेज़ी से रीडिंग रूम में दाख़िल होने लगते हैं, मेरे ये कहने पर के अंदर आंसू गैस को नही सह पाइयेगा, बाहर भागए, तब कई बच्चे बाहर भागते हैं! लेकिन कई अंदर ही रह जाते हैं, अंदर रह जाने वालों में हमारे साथी भी थे. मै और मुझ जैसे सैकड़ो बच्चे तो गॉर्ड कि वजह कर बच गए, पर सैंकड़ो अंदर थे, तब हमने कुछ लोगों कि मदद से बाहर कि तरफ़ से ओल्ड रीडिंग रूम कि खिड़की पीट पीट कर लोगों को बाहर निकलने को कहा, और तब तक पीटते रहे जब तक वो सब बाहर नहीं निकल गए, तब तक अपने मुँह को रुमाल से ढकी हुई पुलिस वहां पहुंच गई, मुझे वहां पर से हटना पड़ा, आँसू गैस कि वजह कर सबके बुरे हाल थे, पुलिस ने चुन चुन कर मासूम बच्चे और बच्चियों को पीटा,

हमारे दोस्त एग्जॉस्ट फ़ैन और वाशबेसिन कि वजह कर वाशरूम कि तरफ़ चले गए, के आँखों पर पानी मारा जाएगा, एग्जॉस्ट फ़ैन कि वजह कर गन्दी हवा बाहर चली जाएगी. पर हमारे दोस्तों ने बताया के रीडिंग रूम से होते हुवे पुलिस ने वाशरूम में घुस कर बच्चों को मारना शुरू किया तो कई लोग एक साथ टॉयलेट के केबिन में घुस कर दरवाज़े को बंद कर लिया, पर पुलिस ने दरवाज़ा तोड़ सबको बाहर निकाल जम कर पीटा, वाशरूम से बाहर कि गेट तक लाइन से पुलिस वाले खड़े थे और उन्होने ढ़ोल कि तरह एक एक कर पीटा, बच्चे लंगड़ाते हुवे भागते हैं, पीछे ही न्यू रीडिंग रूम था, जिसमे शीशा तोड़ कर आंसू गैस का गोला गिरता है और और दम घुट कर मरने से बचने के लिए बच्चे शीशा तोड़ कर बाहर आते हैं, जिन्हे पुलिस चुन चुन कर मरती है. और हाथ उठवा कर उनका प्रैड करवाती है. ये वो बच्चे थे जिनका आज के प्रोटेस्ट से वास्ता तक नही था, ये तो पढ़ रहे थे.

वैसे आज अगर बच्चे रीडिंग रूम शीशा तोड़ कर नही निकलते तो 100+ बच्चे दम घुटने कि वजह कर मारे जाते और कुछ लोग पुलिस का उसी तरह समर्थन कर रहे होते जैसे अभी कर रहे हैं.

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity