प्रेस रिलीज़
बहुत लम्बे समय से , बाबरी मस्जिद विध्वंस करने और , मालिकाना अधिकार को लेकर, और राम जन्म भूमि के मुद्दे पर उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद बहस हो रही थी।
अब जबकि देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत सारे साक्ष्य को निशपक्षता से रखने के बाद मन्दिर के पक्ष में फैसला सुनाया है ,जो सभी ने स्वीकार किय।
सभी समुदाए में प्रेम ,आपसी सौहार्द,हर हाल में क़ाएम भी रहा ये अज़ीम भारतीय संस्कृति का संदेश पूरी दुनिया में मिसाल और नज़ीर बन गया।
परन्तु कुछ भूले भटके नासमझ लोग मन्दिर मस्जिद की राजनीति में पड़ कर “मानसिक प्रदूषण”फैलाकर कर अपने ही देश वासी भाई भाई का दिल जीतने के बजाय,दिल दुखाने का काम कर रहे हैं,
प्रर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण करना आसान है,प्रन्तु इन्सानियत के लिए अमन शान्ति का वातावरण बनाए रखने में प्रेम संयम त्याग की बहुत ज़रुरत है।
हमारे दुस्तान में नफ़रत को कोई भी समुदाए स्वीकार नहीं कर सकता है।
हमारा लक्ष्य देश में मन्दिर मस्जिद की राजनीति नहीं हो,बल्कि,अब 100%शिक्षा और सुरक्षा,रोज़गार,स्वास्थ,पर कार्य सेवा हो।
हमारी निजिराए या मशविरा है,कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले में ,जो 5/एकड़ भूमि पर , देश के भविष्य मासूम बच्चे , ग़रीब इलाकों से आदिवासी, नक्सलियों के बच्चों को,अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा ,रोज़गार की सरकारी लाभकारी योजनाओं को संचालित किया जाए।
शाइस्ता अम्बर,
समाज सेवी, एवं अध्यक्ष,
आॅल इंडिया मुस्लिम महाला पर्सनल लॉ बोर्ड।
जय हिन्द??