स्वतंत्रता दिवस और पुरानी दिल्ली की पतंगी आतिशबाजी:शौकत नोमान

हम सब इस साल अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे है। पतंगबाजी 15 अगस्त के दिन खासतौर पर ईशान कोण(उत्तर पूर्व) दिल्ली में देखने को मिलती है।
आज मै खास तौर से पूर्वी दिल्ली में ही स्वतंत्रता दिवस की पतंग वाजी देखने आया हूं, जब मैं छत पर 2 बजे पहुंचा तो पाया कि दिल्ली वालो की छत व आसमां का नज़ारा ही कुछ और देखने को मिला। बच्चों से लेकर युवा तक सारे लोग स्वतंत्रता दिवस की औसर पर पतंग उड़ाने का मजा लोग काफी संख्या में अपनी-अपनी छतों पर ले रहे थे। आसमान में जहां देखो पतंगें ही पतंगें नजर आ रही थी
वो खूबसूरत नज़ारा मेरी आंखो के सामने अभी भी है।
पूरे दिन काटा, कट गई, लूटो, पकड़ो और ये ले पैसे दुकान से पतंग ले आ जैसे शब्द गूंजते रहते हैं। लोग हाथ में माझा लेकर घंटों तक छत पर पतंग उड़ाते रहे।
उनमें से एक लड़का अहमदाबाद से था, उसने मुझे बताया, पतंगबाजी की जब भी बात आती है तो सबसे पहला नाम हमारे अहमदाबाद की पतंगबाजी का आता है। आसमान इंद्रधनुषी रंगों जैसा दिखाई देता है आज के दिन।
फिर मेरी बात एक चाचा से हुआ उन्होंने कहा –
कोई खास पर्व पतंग उड़ाने के लिए नहीं है लेकिन जो खुशी आजादी के दिन पतंग उड़ाने में है वह किसी ओर दिन नहीं है। पूर्वी दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के दिन पतंग उड़ाना खास रिवाज है।

वहीं मैंने देखा, पतंगबाजी ऐसा शौक है जिसके मजे लूटने के लिए बड़े भी बच्चे बन जाते हैं.
इन पतंगों पर तरह-तरह के संदेश लिखे थे। जैसे बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ आदि
इस संदेश से यादा आया, जब ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1927 में जब साइमन कमीशन भारत आया था, तो लोगों ने पतंगों पर साइमन गो बैक का नारा लिखी पतंग उड़ाकर अपना विरोध दर्ज कराया था।
मुगल बादशाहों के शासन काल में भी तो पतंग का जिक्र मिलता है. खुद बादशाह और शहजादे भी इस खेल को बड़ी ही रुचि से खेला करते थे. उस समय भी तो पतंगों के पेंच लड़ाने की प्रतियोगिताएं भी होती थीं.
उसी बीच लोगो ने खूब अच्छे अच्छे पकवान बनवाए तो कुछ ने मोटे हलवाई की दुकान से मंगवाए, लोगों ने पतंग के लुफ्त उठते हुए पकवान के भी मजे लिए, साथ ही लोगो नी सेल्फी भी लिए अपने तिरंगे के साथ।
शाम 7 बजे तक लोगो ने खूब मस्तियां की ओर पतंगे उड़ाए।

जैसे-जैसे अंधेरा होता गया, पतंगे कम होने लगी, तभी पास की छत से पटाखे की आवाजे आने लगी, धीरे धीरे आसमान में खूब सारे रंग बिरंगे पटाखे जलने लगे।
पूरा आसमान पटाखों के आवाज और रंग से रंग गया।
हर तरफ खूबसूरत नज़ारा ही नजर आने लगा
लेखक:सौकत नोमान

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity