अदालत ने कहा के क़ुरान की पांच प्रतियाँ के उसके फैसला को ज़मीन पर लागु करना मुश्किल था। जिसको देखते हुए न्यालय ने अपना फैसला वापिस ले लिया। इससे पहले जाँच अधिकारी ने न्यालय में सौंपी अपनी रिपोर्ट में ये बात कही कि इसको लागु करना मुश्किल है।
रिचा भारती ने पहले ही इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया था और इसे अपने मौलिक अधिकार का हनन बताया था। बार एसोसिएशन से जुड़े वकील ने अगले 48 घंटे के लिए न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में किसी भी काम से हिस्सा न लेने का निर्णय लिया था।
आपको बता दें की रिचा भारती नरेंद्र मोदी कि समर्थक है और वो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप दोबारा देखना चाहती थी इसी लिए उसने फेसबुक पर अपने धर्म से संबंधित लिखना और दूसरों का पोस्ट शेयर करना शुरू किया।