अशफाक कायमखानी।जयपुर।
परिजनों की लापरवाही और आलिमो के वचन से बेअसर एवं असल मे धार्मिक व नैतिक शिक्षा के दूर भागते भटके चंद बेपरवाह मुस्लिम बच्चों की आवारागर्दी व स्टंट करने की सबे कद्र की रात तीन दिन बाद फिर आ रही है। जिसमे चंद बच्चे सड़को पर ऐसा कृत्य करते नजर आयेगे जिसके चलते पूरे मुस्लिम समुदाय की अलग छवि बनने लगती है।
रमजान माह की सताईसवी रात व सबे कद्र के अलावा ताक रातो की फजीलत पर मै ना जाकर यह विषय ओलमा-ऐ-कराम पर छोड़ते हुये यह कहना जरुर चाहता हु कि मुस्लिम समुदाय का कुछ बच्चों पर सकारात्मक कंट्रोल की रस्सी जरा ढिली होने के कारण कुछ भटके हुये बच्चे सबे कद्र की रात को इबादत करने की बजाय इबादत करने वाले के लिये रोड़ा बनकर एवं बाजार मे स्टंट करके या किसी तरह की तोड़फोड़ करके पता नही क्या संदेश देना चाहते है। अनेक जगह तो यहां तक देखा गया है कि इबादत के लिये आने वालो की मस्जिद के बाहर खड़ी बाइको से प्लक निकाल कर उनके दिल को ठेस पहुंचाने मे भी इस तरह के उदण्डी बच्चे गुरेज नही करते है। कुछ जगह तो गलियो मे व घर के बाहर खड़ी गाडियों के सीसे टूटने या तोड़ने कि शिकायते भी इस रात को मिलना पाया है।
हालांकि सामाजिक स्तर पर ऐसे उदण्डी बच्चों को रोकने का पूख्ता इंतजाम होने मे काफी दिक्कतें आती होगी। पर अगर प्रशासनिक स्तर पर ऐसे उदण्डी बच्चों को किसी तरह रोकनै की कोशिशें हो तो उसको समर्थन देने पर समुदाय को विचार करना चाहिए।