एर्दोगान ने अमेरिका को दी चेतावनी कहा”हम तुम्हारे गुलाम नहीं”तो भारत ने भी ललकारा

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:तुर्की राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने कहा है कि हम अमेरिका के गुलाम नहीं हैं। इसलिए वाशिंगटन (अमेरिका की राजधानी) तय नहीं कर सकता, अंकारा (तुर्की की राजधानी) को कौन सी हथियार प्रणाली खरीदनी चाहिए। बुधवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए घोषणा की है कि एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की निर्धारित योजनानुसार तैनाती की जाएगी। उन्होंने कहा कि एस-400 सिस्टम की खरीद पर अमेरिकी दबाव के खिलाफ अंकारा डटा हुआ है। उन्होंने कहा कि तुर्की अपने व्यापार भागीदारों और हथियार आपूर्तिकर्ताओं को चुनने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।

तुर्की राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने कहा कि एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए रूस से डील हो चुकी है।

अब इस डील से पीछे नहीं हटा जा सकता है। ये नैतिक नहीं होगा। कोई हमसे ये नहीं पूछ सकता कि हम क्या कर रहे हैं? हम एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं, किसी के गुलाम नहीं हैं। रूस के साथ एस-400 मिसाइल सौदे को रोकने के लिए अमेरिका द्वारा बनाया जा रहा दबाव तुर्की को वायु रक्षा प्रणाली की उन्नत तकनीक एस-500 खरीदने को मजबूर कर रहा है। एस-500 मिसाइल सिस्टम 2020 तक रूसी सेना में शामिल होगा।

मालूम हो कि अमेरिका, रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के तहत तुर्की पर एस-400 मिसाइल सिस्टम डील खत्मi करने का दबाव बना रहा है। इसकी जगह अमेरिका तुर्की पर अपनी पैट्रियल मिसाइलें खरीदने का दबाव बना रहा है, जिस पर तुर्की को लगभग 3.5 बिलियन डॉलर (करीब 245 अरब रुपये) खर्च करने पड़ेंगे। हालांकि, तुर्की इन मिसाइलों को खरीदने के लिए शुरू से मना करता आया है। उम्मीद की जा रही है कि जुलाई, 2019 तक तुर्की एस-400 मिसाइलों को तैनात कर लेगा।
भारत ने किया है 350 अरब रुपये का समझौता
भारत ने भी रूस के साथ हथियारों की खरीद पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद 5 बिलियन डॉलर (लगभग 350 अरब रुपये) का समझौता किया है। भारत ने रूस संग एस-400 मिसाइल सिस्टम के लिए अक्टूबर-2018 में करार किया था। भारत चाहता है कि रूस की ये लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली हमारे वायु रक्षा तंत्र को मजबूत करे। भारत इस वायु रक्षा प्रणाली को विशेष तौर पर चीन से लगी 3488 किमी सीमा पर तैनात करना चाहता है। भारत के समझौते पर भी अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। हालांकि, जब अमेरिका को लग गया कि भारत किसी भी दशा में समझौते से पीछे नहीं हटेगा तो उसने सौदे को मंजूरी दे दी थी।

भारत से पहले चीन ने मारी बाजी

भारत से पहले रूस का एस-400 मिसाइल सिस्टम चीन को मिल चुका है। चीन ने भी अमेरिकी प्रतिबंधों को नजर अंदाज कर इसके लिए 2014 में ही रूस से तीन बिलियन डॉलर (करीब 210 अरब रुपये) का रक्षा सौदा किया था। रूस से जुलाई 2018 में ये मिसाइलें मिलने के बाद चीन ने 27 दिसंबर 2018 को इनका सफल परीक्षण भी किया था। चीनी सेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पहली बार इस प्रणाली का परीक्षण किया था।

चीन ने किया पहला सफल परीक्षण

चीन द्वारा किए गए परीक्षण के दौरान इस वायु रक्षा प्रणाली ने 250 किलोमीटर दूर मौजूद सिम्युलेटेड बैलेस्टिक लक्ष्य को आसानी से नष्ट कर दिया था। परीक्षण के दौरान ये मिसाइल तीन किलोमीटर प्रति सेकेंड की सुपरसोनिक गति से आगे बढ़ा था। हालांकि चीन ने परीक्षण के स्थान का खुलासा नहीं किया था। एस-400 को रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली माना जाता है।

इसकी खरीद के लिए 2014 में रूस के साथ इस सौदे को सील करने वाला चीन पहला विदेशी खरीदार था। इसके बाद तुर्की और भारत ने भी इस मिसाइल सिस्ट4म के लिए रूस से सौदा किया है। तुर्की को इसकी पूरी खेप 2020 तक कर दी जाएंगी। तुर्की दूसरा नाटो देश है जिसने रूस के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देते हुए इस सिस्ट म का सौदा किया है। इससे पहले ग्रीस ने भी रूस के साथ इस सिस्टम की खरीद के लिए समझौता किया था।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity