पैर धोने से किया दलित ब्राहम्मण हो जाएगा,खाना खाने से रोजगार मिल जाएगा?

ज़रा इस तस्वीर को गोर से देखिय ये हमरेPM नरेंद्र मोदी जी प्रयाग राज में परसों  सफाई कर्मियों के पैर धोय, लेकिन एक बात बार बार खाय जरही कि किया पैर धो लेने से ब्रहम्मण हो जाएगा या किसी के घर खाना खाने से रोजगार मिल जायगा या ब्राहम्मण के समान अधिकार मिल जाएंगे वैसे यक़ीन मानिए इस देश में पीएम नरेंद्र मोदी जैसे ही राजनेताओं की ज़रूरत है वैसे महात्मा गांधी भी जन नेता थे जो बिना किसी भेदभाव के हर किसी को अपना मान लेते थे ऐसे ही राजनेताओं की हिंदुस्तान को ज़रूरत है लेकिन ज़रा सोचिए किया मोदी जी के दिल में वाक़ई सफाई कर्मियों, जनजातियों के लिए इतना सम्मान है या महज चुनाव के क़रीब होने की वजह से मुहब्बत और सम्मान जन्म ले लिया है अगर ऐसा नहीं है तो ज़रा अंकड़ों पर गौर कीजिएगा जो अभी मैं बताने जा रहा हूँ.

देश में हर तीसरे दिन एक सफाई कर्मी की मौत होती है. ये आकंड़ा देश के एक शीर्ष एनजीओ का है, जो सफाई कर्मियों के अधिकारों के लिए काम करता है. ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ नाम के इस एनजीओ के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2017 से सितंबर  2018 तक 221 सफाई कर्मियों की मौत हो चुकी है. दिल्ली में सितंबर 2018 के महीने के शुरू में सीवर की सफाई के दौरान हुई छह मौतें होगयीं. सफाई क्रमचारी आंदोलन NGO ने जांतर मंतर मे विरोध प्रदर्शन भी किया, सफ़ाई कर्मचारियों के लिय हिफाज़त की मांग भी की लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगा, सफाई कर्मचारी आंदोलन’ का दावा है कि सफाई कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की ओर से देशभर में 666 मौतों का जो आंकड़ा दिया गया है, वो भ्रामक है. एनजीओ के मुताबिक 1993 से अब तक 1,760 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. एनजीओ ने ये आंकड़ा 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से एकत्र किए हैं.मोदी सरकार की स्वच्छ भारत अभियान पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है. लेकिन योजना में सफाई कर्मियों की सुरक्षा के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं है. जाम सीवरों को खोलने के लिए देश में करीब आठ लाख सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन उनको लेकर बहुत कम आंकड़े उपलब्ध हैं.हम अपनी को बता दें कि वाराणसी पीएम  नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र में 10 नवंबर को 2 सफ़ाई क्रमचारियों की मौत हो गई थी 12 नवंबर को मोदी जी STPसीवेज ट्रीटमंट प्लांट का लोकार्पण करने वाले थे सिर्फ दो दिन पहले ही 2 सफ़ाई क्रमचारियों की मौत हो गई पर उसवाक़त मोदी जी ने कुछ भी नहीं कहा येही नहीं इसस्से पहले जितनी भी मौतें हुई हैं उन पर कभी नहीं बोले लेकिन चुनाव क़रीब आते ही रुख बदल सा गया अब पैर तक धोने से नहीं क़तरा रहें इससे पहले बोलने से भी कतरा रहे थे अखिर क्यूँ किया इसे चुनाव से ना जोड़ा जाय, इसे किया समझा जाय जब चुनाव क़रीब आते हें तो दलित के घर खाने से घिन महसूस नहीं करते पर चुनाव जाते ही फिर छुआझूत की बीमारी फैल जाती है क्यूँ आप को किया लगता है.(इनपुट क्लासिक न्यूज)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity