राहुल गाँधी का मंदिर – मंदिर जाना मज़बूरी या सेक्युलर हिंदुत्व एजेंडा?

जब से बीजेपी सत्ता में आई है तब से उसने विपक्षी पार्टियों ख़ासकर कांग्रेस पार्टी को हिन्दू विरोधी बताने में लगी हुई है और बहुत हद तक उनको इसमें क़ामयाबी भी प्राप्त हुई

काँग्रेस को इस छवि से निकालने के लिए राहुल गाँधी ख़ुद को सच्चा हिन्दू साबित करने के लिये मन्दिर मन्दिर जा रहें हैं कई जानकारों को मानना है कि इसमें राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को फायदा भी मिला है.

अब तो वो हर चुनाव में गौशाला खोलने के वादे घोषणा पत्र में रखतें हैं ताज़ा मामला उज्जैन का ही लीजिये गाय ले जाने के क्रम में तीन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा का केस रासुका लगा दिया है.अब कांग्रेस भी गौशाला खोलने गौशाला पर ऋण देने जैसे कई वादे कर रही है और उसपर कार्य प्रगति पर है.

लेकिन इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मुसलमान उन्हें क्या मानते हैं। फ़र्क़ इससे पड़ता है कि हिन्दू उन्हें क्या मानते हैं।

1989 में जब राजीव गाँधी ने मंदिर का शिलान्यास करवाया था इससे कांग्रेस के हिन्दू वोट बैंक में कोई लाभ नही हुआ बल्कि संघ के एजेंडे को बल मिला.

1990-91 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अयोध्या विवाद को सुलझाने के बेहद क़रीब पहुँच गए थे लेक़िन जैसे ही राजीव गाँधी को भनक मिली उन्होंने सरकार से समर्थन वापिस ले लिया और 64 सीट के साथ बने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर कि सरकार गिर गयी औऱ देश आम चुनाव में गया जिसने चुनाव प्रचार में ही राजीव गांधी कि हत्या कर दी गयी थी.

उसके बाद नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने और 6 दिसम्बर 1992 को जो हुआ वो इतिहास है.बीजेपी और कांग्रेस में ज्यादा फ़र्क नही है एक खुली हुई क़िताब कि तरह है दूसरी बन्द क़िताब की तरह वैसे बीजेपी के कई बड़े नेता सार्वजनिक मंचो से क़ुबूल कर चुके हैं उन्हें मुसलमान वोट नही देता है और बीजेपी को मुस्लिम वोट चाहिये भी नहीं.

कांग्रेस के लिये मुस्लिम वोट बैंक रहा है लेक़िन सिर्फ़ वोट बैंक तक ही सीमित रहा.क्योंकि आज़ादी के वक़्त मुसलमानों की सरकारी नौकरियों में भागेदारी 30℅ थी आज 1% से 2 % इस हालात के लिए इसका श्रेय कांग्रेस को जाता है क्योंकि ज्यादातर सत्ता में वो ही रही है.

इसमें सचाई है कि मुस्लिम वोट बैंक हमेशा कांग्रेस के साथ रहा लेक़िन 2014 में मुस्लिम वोट बीजेपी को भी मिले जो उम्मीद से ज्यादा थे शायद बीजेपी वाले भी उम्मीद नही कर रहे थे.

अब देखना ये दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश में अग़र कांग्रेस महागठबंधन में शामिल नही हुई तो मुस्लिम वोट बैंक शायद कांग्रेस से छिटक कर सपा बसपा कि तरफ़ जाए लेक़िन जहाँ कांग्रेस के उम्मीदवार बीजेपी को हराने वाले होंगे वो उधर जाएंगे.

एक कांग्रेस थी, जिसकी जड़ें देश भर में थीं, लेकिन उसके पास न कोई विचार है, न संकल्प है संघ को चुनावों से नहीं, बल्कि तभी पराजित किया जा सकता है, जब उसके विरुद्ध कोई नया विचार खड़ा हो। वह विचार कहाँ है? किसके पास है?

Zeeshan Naiyer
Student & Blogger
Maulana Azad National Urdu University Hyderabad

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity