मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली: साल 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए असम समझौते (Assam Accord) विशेषकर धारा 6 को सही और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने एक उच्च स्तरीय समिति के गठन का फैसला लिया है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि असम समझौता जितने प्रभावी तरीके से लागू होना चाहिए था, वह उस तरीके से नहीं हुआ, इसे लेकर कैबिनेट ने बुधवार को हाई लेवल कमेटी बनाने का फैसला लिया है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को बताया कि यह उच्च स्तरीय समिति अपनी रिपोर्ट में यह भी बताएगी कि असम समझौता कितने प्रभावी तरीके से लागू हुआ और 1985 से अब तक इसे लागू करने में कितनी प्रगति हुई, इसका ब्यौरा देगी. इसके साथ ही यह कमेटी असम के सभी हितधारकों से चर्चा करेगी कि असम विधानसभा और स्थानीय निकायों में असमियों को कितना आरक्षण दिया जाए. दरअसल असम समझौते के धारा 6 मे कहा गया है कि केंद्र सरकार संवैधानिक, वैधानिक और प्रशासनिक स्तर पर असम की संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहरों, सामाजिक और भाषाई पहचान की रक्षा करेगी.
इसके साथ ही पूर्वोत्तर के एक अन्य राज्य अरुणाचल प्रदेश के लिए एक अहम फैसला लिया गया है. इसके तहत केंद्र सरकार अरुणाचल की अनुसूचित जातियों की सूची में कुछ फेरबदल करने के लिए विधेयक लाएगी. इस विधेयक के कानून में बदलने के बाद नई सूची में शामिल समुदायों को अनुसूचित जातियों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. जिसमें हाईस्कूल के बाद स्कॉलरशिप, विदेश में शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप, लोन में रियायत, अच्छी उच्च शिक्षा और लड़के-लड़कियों के लिए हॉस्टल शामिल हैं. इसके साथ विभिन्न सेवाओं और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.
इसके अलावा कैबिनेट ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) को प्रभावी तरीके से लागू कराने के लिए नेशनल हेल्थ एजेंसी को भंग करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन नेशनल हेल्थ अथॉरिटी का गठन करने का फैसला लिया है.
गौरतलब है कि असम में 80 के दशक में बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य से बाहर करने के लिए आंदोलन हुए. इसका नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ (आसू) और असम गण परिषद ने किया. आंदोलन को बढ़ता देख अगस्त 1985 में केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और आंदोलन के नेताओं के बीच ‘असम समझौता’ हुआ. राजीव गांधी ने अवैध बांग्लादेशियों से निजात दिलाने का वादा किया. इस समझौते में कहा गया था कि 25 मार्च 1971 तक असम में आकर बसे बांग्लादेशियों को नागरिकता दी जाएगी. बाकी लोगों को राज्य से निर्वासित किया जाएगा.(इनपुट आजतक)