(अनवर हुसैन फिदवी/मिल्लत टाइम्स)
झारखंड /रांची, वर्ष 2018 में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में खराब प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने कोई सीख नहीं ली.हालत यह है कि इस बार परीक्षा को सिर्फ 60 दिन बचे हैं और तैयारी हवा-हवाई है.2018 में 59.48 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही मैट्रिक की परीक्षा में पास हुए हैं, जबकि 1,73,559 स्टूडेंट्स असफल घोषित किये गये हैं.मैट्रिक की परीक्षा में इस साल 4,28,389 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
पिछले साल 2017 में मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट 67.83 प्रतिशत हुआ था.गत वर्ष की तुलना में इस साल रिजल्ट में आठ प्रतिशत की गिरावट हुई.पिछले 13 सालों की तुलना में यह सबसे खराब परीक्षा परिणाम रहा था.परीक्षाफल प्रकाशित होने के बाद शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने बेहतर परीक्षा परिणाम के लिए कई घोषणाएं की, जो पूरी तरह से हवा-हवाई निकलीं.शिक्षा मंत्री ने कहा था कि इस वर्ष स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर कर ली जायेगी.10वीं कक्षा का सत्र समाप्त होने के बाद भी अब तक स्टूडेंट्स को न स्कूलों में शिक्षक ही मिले और न ही समय पर उन्हें किताबें सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा सकीं.जैक पंजीयन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार इस बार मैट्रिक परीक्षा 20 फरवरी 2019 से होनी है.इसमें लगभग चार लाख स्टूडेंट्स शामिल होनेवाले हैं.ऐसे में बड़ा प्रश्न स्टूडेंट्स और अभिभावकों के समक्ष उत्पन्न हो गया है कि स्टूडेंट्स परीक्षा में बिना तैयारी के लिखेंगे क्या और परीक्षाफल उनका कैसा होगा.
स्टूडेंट्स बिना तैयारी के देंगे परीक्षा, प्रति हाई स्कूल एक शिक्षक ने छात्रों को पढ़ाया
2018 में मैट्रिक के खराब रिजल्ट के बाद सरकार ने घोषणा की थी इस राज्य के सभी हाई स्कूलों में 19 हजार शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया की जा रही है, ताकि नये सत्र में बच्चों को प्राप्त संख्या में शिक्षक मिल सकें.सरकार की घोषणा के बाद दिसंबर 2018 तक शिक्षकों की नियुक्ति अब तक हाई स्कूल में नहीं की जा सकी.झारखंड में कुल 2266 हाई स्कूल हैं, जिनमें 203 कस्तूरबा स्कूल व 89 मॉडल स्कूल शामिल हैं.इन स्कूलों में हाई स्कूल शिक्षकों की संख्या लगभग तीन हजार है.इस सत्र के दौरान प्रति स्कूल एक शिक्षक ने 10वीं का सिलेबस छात्रों को पढ़ाया है.वस्तुत: स्थिति का आकलन करने के बाद से यह साबित होता है कि मैट्रिक परीक्षा देनेवाले स्टूडेंट्स का सिलेबस इस वर्ष किस तरह से तैयार किया गया है और उन्हें किन परिस्थितियों में मैट्रिक की परीक्षा देनी होगी.
राज्य के आधे स्कूलों में नहीं पहुंचीं किताबें
राज्य के आधे स्कूलों में 10वीं की किताबें नहीं पहुंचीं और जिन बच्चों के पास किताबें पहुंचीं, तब तक बच्चों का आधा सिलेबस खत्म हो चुका था.झारखंड परियोजना के अधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि किताबों की छपाई देर से होने के कारण स्टूडेंट्स के बीच किताबें देरी से पहुंचीं.
शिक्षकों की हड़ताल के कारण सरकारी स्कूलों को बच्चों ने छोड़ा
2018 में पारा शिक्षकों के साथ कई बार हाई स्कूल एवं प्राथमिक शिक्षकों ने आंदोलन किया.इसके कारण 10वीं कक्षा में पढ़नेवाले राज्य के स्टूडेंट्स ने परीक्षा में बेहतर करने के लिए सरकारी स्कूलों को छोड़ निजी स्कूलों में नामांकन इस वर्ष लिया.वहीं, परीक्षा में शामिल होनेवाले स्टूडेंट्स की संख्या में गिरावट आयी है.जैक ने परीक्षा की तिथि (20 फरवरी से) घोषित तो कर दी है, लेकिन स्टूडेंट्स का सही डेटा नहीं दे रही है, क्योंकि इस वर्ष स्टूडेंट्स की संख्या में काफी गिरावट आयी है.बताय जा रहा है कि इस बार चार लाख से कम ही स्टूडेंट्स मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होंगे.
किस वर्ष में कितने स्टूडेंट्स मैट्रिक परीक्षा में हुए शामिल।
वर्ष 2013 में 469667, वर्ष 2014 में 478079, वर्ष 2015 में 455829, वर्ष 2016 में 470280, 2017 में 467193, वर्ष 2018 में 428388