इस लॉकडाउन में कैसे मनाएं ईद उल-फितर,क्या है इस पर्व का महत्व:शौकत नोमान

रमजान के 30 रोजों के बाद चांद का दीदार कर ईद मनाई जाती है। पवित्र कुरान के अनुसार, रजमान के महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को बख्शीश और इनाम देता है। बख्शीश और इनाम के इस दिन को ईद-उल-फ़ित्र कहा जाता है। इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए एक खास रकम निकालते हैं, जिसे जकात कहते हैं।

रमज़ान-उल-मुबारक माह के बाद ईद उल-फ़ित्र के इस मुबारक दिन के सुबह मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह में जमा होकर ईद की नमाज अदा करते है! लेकिन इस बार कोरोना वायरस और लॉकडाउन् के मद्देनजर लोगो को ईद की नमाज़ अपने घरों में ही अदा करनी होगी! इस लॉकडाउन् के कारण कहीं भी इकठ्ठा होने पर मनाही है। इस साल चांद के दीदार के बाद ईद उल-फ़ित्र 25 मई को अपने घरों मनाई जाएगी! इस्लाम धर्म का यह त्यौहार भाईचारे का संदेश देता है। ईद कोई हल्ला मचाने या बाइक राइडिंग का त्योहार नहीं, यह आपसी रंजिशो को मिटा कर एक दूसरे के साथ खुशियां बाटने का त्यौहार है। लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण सोशल डिस्टेंसिग का पूरा ध्यान रखा जाएगा, ईद की खुशी यही होगी के हम इस ईद गले ना मिले और हाथ ना मिलाए। जैसा कि आप जानते है कि ये रमज़ान का पाक महीना अपने अंतिम चरणो में है।

रमज़ान का पाक महीना,चांद का दीदार, अल्लाह से पूरी दुनिया के अमनो-व-शुकून कि दुआए करना, वो हर पुराने गीले सिकवे को भुला कर मुहब्बत के साथ अपने इसी वतन के मिट्टी में ज़िन्दगी बसर करेंगे। बताते चले, इस बार की ईद में थोड़ी दूरियां होंगी, जहां भाव तो वहीं होगा पर दूरियां जरूर होंगी। हमे इस बीमारी के संक्रमण से बचने के लिए इस लॉकडाउन् के नियमो का पालन करना होगा। इस बार भले ही हम घरों से बाहर नहीं निकल सकते और दोस्तो और रिश्तेदारों से नहीं मिल सकते। लेकिन परिवार के साथ घर पर रहकर ईद मनाने का आइडिया भी बुरा नहीं। आप अपने परिवार के साथ मिलकर सिवाईया के इलावा एक नए डिस का आगाज कर सकते है और साथ ही उस डीस रेसिपी(recipe) का वीडियो क्लिप बनाए और अपने दोस्तो और रिश्तेदारों में सेंड कर उन्हें भी प्रोत्साहित कीजिए के वो भी एक नए डीस का आगाज करे। इस बार ईदी पर सबसे ज्यादा संकट मंडरा रहा है, तो कोई बात नहीं, ई-ड्रांसफर तो जानते ही है। बच्चो को ई-ड्रांसफर के माध्यम से ईदी भेजे। जब बच्चो को ई-ट्रांजैक्शंस के जरिए सरप्राइज ईदी मिलेगी तो यकीन मानिए, उसकी खुशी दोगुनी हो जाएगी।
आखिर में,

ईद की नमाज़ पढने से पहले फितरा अदा करना होता हैं। फितरा हर मुसलमान पर वाजिब है। अल्लाह ने हम सभी को एक ऐसी जिंदगी दी है, जहां हम लोगों की दुःख-दर्द को कम करने की पूरी कोशिश ताउम्र करते रहें। इसलिए अल्लाह की इबादत करते हुए इबादत करते हैं। इस आने वाली ईद में अल्लाह का रहमो करम कयामत तक बना रहे, ऐसी ख्वाहिश करते हुए शुरिया अदा करें।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity