रमजान का महीना बहुत ही अजमत व नेअमत वाला है।

मेराज आलम ब्यूरो:रमजान का महीना बहुत ही अजमत व नेअमत वाला है। रमजान मुसलमानों के लिये खास मायने रखता है। रमजान ईमान, सबर और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना है। रोजा हमें नफस ( स्वयं) पर काबू रखने की तरबीयत (सीख) देता है। हममें परहेजगारी पैदा करता है। यह महीना ट्रेनिंग का है, जिस तरह रमजान मे इंसान बुरे कामों से दुर रहता है, नेक कार्य करता है उसी तरह उसे साल भर गुजारना चाहिए। अललाह ने कुरान मे रोजे का हुक्म देते हुए इरशाद फरमाया कि, ऐ इमान वालों तुम पर रोजे फरज किए गए जिस तरह तुम से पहली उममतो पर भी फरज किए गए थे ताकि तुम मे तकवा पैदा हो। गलतियों के लिए तौबा करने ,नेकी के बदले सवाब पाने, अपनी मगफिरत करवाने का महीना रमजान है।

रोजा मे अहले सुबह से लेकर शाम सुरज डूबने तक कुछ भी खाने पीने की मनाही है। रमजान में ही 27वीं की रात को कुरान का नुजूल हुआ। इसलिए इस महीने में कुरान ज्यादा पढना चाहिए । रमजान मे रोजा रखना, जकात और सदका देना, फितरा अदा करना, कुरान पढ़ना, बुरे कामो से दूर रह कर पुरे महीने इबादत करते हैं। अललाह का वादा है कि जो इमान के साथ रमजान गुजारे उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जायेंगे। रमजान में ज्यादा से ज्यादा इबादत करना चाहिए क्योंकि इस महीने मे हर नेक अमल का सवाब बढा दिया जाता है। लाक डाउन का पालन करें और समाजिक दूरी बनाये रख कर इबादत करें, घर पर सुरह तरावीह पढ ले, जितना संभव हो इबादत करें। अपने गुनाहों की माफी मांगे। कोरोना वायरस से समाज और देश के बचाव की दुआ मांगे। अललाह से यह भी दुआ करे की देश में अमन शांति रहे, आपसी भाईचारा एव मुहब्बत कायम रहे। मो कमर अखतर अध्यक्ष मुस्लिम सिटीजंस फार एमपावरमेंट

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity