लोगों का तन ढकने वाले बुनकर हो रहे हैं भुखमरी का शिकार

मुज़फ्फरुल इस्लाम,घोसी,मऊ। स्थानीय नगर में लॉक डाउन 2 के बाद सड़कें व गलियों में सन्नाटा एवं वीरानी फैली हुई है।वहीं नगर के काजीपुरा ,बड़ागाँव आदि क्षेत्रों में बुनकरों के घरों से निकलने वाला पावर लूम की खटर पटर की आवाज भी थम सी गई है। हजारों बुनकरों के सपनों, ख्वाब एवं रिश्तों को बुनने वाला लूम कोरोना महामारी में बुनकरों के लिये किसी दर्द से कम नहीं दिख रहा।लूम बन्द होने से बुनकर परिवार भुखमरी की तरफ अग्रसर हो रहे। इस महामारी में सरकार की तरफ से कमोबेश हर जरूरतमंद हेतु पैकेज की घोषणा हुई। किन्तु आस लगाये बुनकरों की उम्मीदों पर निराशा ही हाथ लगी ।

आखिर इनके दर्द एवं दास्तां को कौन सुनेगा। कस्बे के अलग अलग क्षेत्रों में लगभग दस हजार के आसपास लूम संचालित है। बुनकरों द्वारा बुनी हुई साड़ियां लॉक डाउन के चलते उनके घरों में ही फँसी है।ऐसे में भरण पोषण को ले बुनकर परिवार इस महामारी में कोरोना संक्रमण से तो बच सकता वरन भूख एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती। वहीं कस्बा के बुनकर हसद,हस्सान आजमी, उस्मान,मोनिरुल इस्लाम,अब्दुलाह इनामुलहक आदि दर्जनों ने बताया कि अभी तक कोई प्रशानिक मदद हम लोगों तक नहीं पहुँच सका है। ऐसे में परिवार का पेट चलाना मुश्किल हो गया है ।सरकारी मदद भी केवल हवा हवाई दिख रही।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity